पहले ऑक्सीजन सिलेंडर और वैक्सीन के वितरण को लेकर और अब वैक्सीन की बर्बादी को लेकर केंद्र की विपक्षी दलों की राज्य सरकारों के साथ भिड़ंत हुई है। केंद्र सरकार का कहना है कि झारखंड और छत्तीसगढ़ ऐसे राज्यों में हैं जिन्होंने सबसे ज़्यादा वैक़्सीन की बर्बादी की है जबकि इन राज्य सरकारों ने केंद्र के दावे को ग़लत बताया है। दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, झारखंड ने 37.3% वैक्सीन बर्बाद की है और वह इस मामले में शीर्ष पर है। लेकिन झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य सरकार के पास जितनी वैक्सीन उपलब्ध है, उसमें से बर्बाद हुई वैक्सीन का फ़ीसद सिर्फ़ 4.65% है।
As per total vaccine doses availability with Govt on Jharkhand till today, the current Vaccine Wastage proportion is only 4.65%. Vaccination data could not be fully updated to the central Co-Win Server/ Platform due to technical difficulties/glitches & the updation is in process. https://t.co/w3QXPFnKFR pic.twitter.com/uBFJXCktei
— Office of Chief Minister, Jharkhand (@JharkhandCMO) May 26, 2021
उन्होंने कहा है कि टीकाकरण के पूरे डाटा को को-विन के सर्वर पर अपडेट नहीं किया जा सका है लेकिन ऐसा करने की कोशिश जारी है। सोरेन ने कहा कि झारखंड सरकार वैक्सीन का बहुत सोच-समझकर इस्तेमाल कर रही है और सरकार की कोशिश है कि यह कम से कम बर्बाद हो।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है और उसने 30.2% वैक्सीन बर्बाद की हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी केंद्र की ओर से दिए गए इस आंकड़े पर आपत्ति जताई है और इसे ग़लत बताया है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने कहा है कि वह इस बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर भी बता चुका है कि वह डाटा के संबंध में आ रही दिक्क़तों को सुलझाए और राज्य सरकार द्वारा वैक्सीन की बर्बादी को लेकर दिए गए डाटा को अपडेट करे।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव ने कहा, “यह बात हंसने लायक है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के साथ हुई हमारी पिछली बैठकों के दौरान हमने कहा था कि यह सही आंकड़े नहीं हैं और इन्हें सही किया जाए।”
इससे पहले केंद्र सरकार की दिल्ली, पंजाब सहित कुछ अन्य विपक्षी दलों की सरकारों के साथ ऑक्सीजन और वैक्सीन वितरण को लेकर खासी जुबानी जंग हो चुकी है। निश्चित रूप से ऐसे वक़्त में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोरोना महामारी से लड़ने को लेकर एकजुट होने की बात करते हैं तो फिर इस तरह के विवाद क्यों सामने आ रहे हैं।
डाटा को लेकर जो दिक्क़त राज्य सरकारों ने बताई है केंद्र को उसे दूर करना चाहिए वरना वह कुछ आंकड़े देगा और राज्य अपने आंकड़े देंगे और इससे यही सामने आएगा कि दोनों के बीच कोई तालमेल नहीं है।
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