देश में चारों ओर वैक्सीन को लेकर संग्राम मचा हुआ है। कई राज्यों में वैक्सीन की कमी के कारण 18 से 44 साल वाले लोगों का टीकाकरण रोकना पड़ा है। दिल्ली, मुंबई में कई टीकाकरण केंद्र बंद करने पड़े हैं और कई अन्य राज्यों में भी वैक्सीन की जबरदस्त किल्लत है।
लेकिन ये पता करना ज़रूरी है कि भारत में हर महीने वैक्सीन की कितनी डोज बन रही हैं और कितनी लोगों को लग रही हैं। टाइम्स ऑफ़ इंडिया (टीओआई) के मुताबिक़, केंद्र सरकार ने इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफ़नामे में बताया था कि सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडिया (एसआईआई) हर महीने कोविशील्ड वैक्सीन की 6.5 करोड़ डोज बना रही है जबकि भारत बायोटेक कोवैक्सीन की 2 करोड़ डोज। ये डोज कुल मिलाकर 8.5 करोड़ होती हैं।
सरकार ने अपने हलफ़नामे में ये भी कहा कि भारत बायोटेक जुलाई से 5.5 करोड़ वैक्सीन का उत्पादन करने लगेगी।
अब यह बात साफ है कि देश में इन दोनों कंपनियों ने मिलकर कम से कम वैक्सीन की 8.5 करोड़ रोज मई के महीने में बनाईं। टीओआई के मुताबिक़, CoWin पोर्टल से मिले आंकड़े कहते हैं कि मई के पहले 22 दिनों में भारत ने हर दिन 16.2 लाख डोज के हिसाब से वैक्सीन की 3.6 करोड़ डोज लगाई हैं।
इस हिसाब से देखें तो मई के अंत तक कुल 5 करोड़ से थोड़ा सा ज़्यादा वैक्सीन की डोज लगाई जाएंगी। लेकिन 16 से 22 मई के बीच देश में हर दिन 13 लाख से कम वैक्सीन की डोज लगाई गई हैं। इसका सीधा मतलब यह है कि मोटे तौर पर वैक्सीन की 5 करोड़ डोज ही मई के अंत तक लगेंगी।
इसके पीछे जो भी कारण दिए जाएं, लेकिन 3.5 करोड़ वैक्सीन का कोई अता-पता न होना सवाल तो खड़े करता ही है। आख़िर दिक़्कत कहां है, क्या वैक्सीन की सप्लाई में कोई दिक़्कत है क्या वैक्सीन की डोज बर्बाद हो रही हैं और अगर हां तो क्यों?
वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों की ओर से जितनी डोज़ की सप्लाई की जा रही है और लोगों तक ये उतनी पहुंच क्यों नहीं रही है, इसका जवाब ज़ाहिर तौर पर सरकार को ही देना होगा लेकिन इस वजह से वैक्सीन लगवाने का इंतजार कर रहे लोगों का इंतजार ज़रूर लंबा हो रहा है और कहा जा सकता है कि भारत में पूरी व्यस्क आबादी को वैक्सीन लगाने में निश्चित रूप से बहुत लंबा वक़्त लगेगा।
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