क्या सदियों से बनी भारत की धर्मनिरपेक्ष, बहुलतावादी, समन्वयवादी छवि तार-तार हो गई है? क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की फ़जीहत हो रही है? क्या इसके लिए खुद भारत के लोग ज़िम्मेदार हैं?
इन सवालों का जवाब हमें इससे मिल सकता है कि पाकिस्तान ने भारत के उच्चायुक्त को बुला कर फटकार लगाई है और विरोध पत्र थमाया है। पाकिस्तान ने उत्तराखंड के हरिद्वार में हुए धर्म संसद में कही गई बातों पर औपचारिक रूप से विरोध जताया है। इसके साथ ही उसने मुसलमानों के नरसंहार का आरोप भारत पर जड़ दिया है।
क्या कहा है पाकिस्तान ने?
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता आसिम इफ़्तिख़ार अहमद ने बयान जारी किया है कि 'आज भारतीय कूटनीति के प्रमुख को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया और भारतीय मुसलमानों के नरसंहार करने के हिंदुत्व समर्थकों के खुलेआम आह्वान पर पाकिस्तान सरकार की गंभीर चिंताओं से भारत सरकार को अवगत कराने को कहा है।'
मुसलमानों के नरसंहार का आरोप
इस बयान में कहा गया है, "हिंदू रक्षा सेना के प्रबोधनाथ गिरि और अन्य हिंदुत्व नेताओं ने जातीय सफ़ाई का आह्वान किया, यह बेहद निंदनीय था। लेकिन भारत सरकार ने न इस पर खेद ज़ाहिर किया और न ही इसकी निंदा की और न ही इसके ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई की।"
पाकिस्तान ने इस बयान में कहा है कि भारतीय पक्ष से यह बात साझा की गई है कि पाकिस्तान के लोगों और पूरी दुनिया की सिविल सोसाइटी और विभिन्न समुदायों में इस नफ़रत भरे भाषण को लेकर गहरी चिंताएं हैं।
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अफ़सोस है कि भारत में हिंदुत्व के आधार पर चल रही बीजेपी-आरएसएस की वर्तमान गठबंधन सरकार में अल्पसंख्यकों और ख़ासकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ ज़हरीले भाषण और राज्य संरक्षण में उनका उत्पीड़न एक नियम बन गया है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान का अंश
हिंदुत्ववादी समूह
पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, "अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का निरंतर गंभीर रूप से उल्लंघन हो रहा है। ख़ासकर मुसलमानों और उनके धर्म स्थलों का, इसके साथ ही केंद्र सरकार और कई बीजेपी शासित राज्य मुसलिम विरोधी क़ानून बना रहे हैं। मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिंदुत्ववादी समूह छोटे-मोटे बहाने बनाकर राज्य के संरक्षण में हिंसा की लगातार घटनाएं अंजाम दे रहे हैं और सज़ा से बच जा रहे हैं। यह भारत के मुसलमानों के भविष्य और इसलामोफ़ोबिया को लेकर बनती एक गंभीर तसवीर को दिखाता है।"
भारत के ख़िलाफ़ गोलबंदी
लेकिन सबसे गंभीर बात तो यह है कि पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भारत के ख़िलाफ़ गोलबंद करने और भारत को अलग-थलग करने की कोशिश की है। उसने भारत पर मुसलमानों के नरसंहार का आरोप भी लगाया है। यह आरोप उस देश पर लग रहा है जहाँ इंडोनेशिया के बाद मुसलमानों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा है,
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पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय समुदाय से माँग करता है कि वह अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुसलमानों के ख़िलाफ़ लगातार और व्यवस्थित तरीक़े से जारी मानवाधिकार उल्लंघनों के लिए भारत को जवाबदेह ठहराए। साथ ही नज़दीक आ चुके नरसंहार से बचने के लिए तुरंत क़दम उठाए।
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के बयान का अंश
असर क्या हो सकता है?
इसका व्यापक असर हो सकता है। भारत की छवि खराब हो रही है, उस पर अंतरराष्ट्रीय दबाव भी बढ़ सकता है। अमेरिका स्थित डेलावेअर यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर मुक़्तदर ख़ान ने सत्य हिन्दी से कहा,
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हज़ारों साल से बनी भारत की छवि नष्ट हो रही है। भारत की छवि एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, बहुलतावादी व सहिष्णु देश की थी। भारत को महान सभ्यता माना जाता था। अब नकारात्मक प्रचार हो रहा है।
मुक़्तदर ख़ान, प्रोफ़ेसर, डेलावेअर यूनिवर्सिटी
भारत पर नकेल?
इतना ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों के तहत भारत पर नकेल कसी जा सकती है। मुक़्तदर ख़ान का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र में स्वीकृत 'रिस्पॉन्सिबिलिटी टू प्रोटेक्ट' के सिद्धांत के आधार पर हर देश को यह हक़ है कि यदि किसी देश में नस्ल या धर्म के आधार पर ज़्यादती होती है तो वह उसमें हस्तक्षेप करे। भारत में यदि नरसंहार होता है या समाज उस ओर बढ़ता है या ऐसा कहा भी जाता है तो दूसरे देशों की यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह इस मामले में हस्तक्षेप करें।
मुक़्तदर ख़ान कहते हैं,
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यदि भारत सरकार इस तरह की बातें करने वाले लोगों और संस्थाओं के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करेगी तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय ऐसा करेगा। भारत दुनिया में एक अछूत राज्य बन जा सकता है।
मुक़्तदर ख़ान, प्रोफ़ेसर, डेलावेअर यूुनिवर्सिटी
भारत की छवि
'अरब न्यूज़' के भारत संवाददाता संजय कुमार का मानना है कि "भारत में मुसलमानों के खिलाफ़ जो वातावरण बनाया जा रहा है, उन्हें उत्पीड़ित किया जा रहा है, उससे मध्य पूर्व के लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि वे भारत को उस रूप में नहीं देखते थे।"
उन्होंने इसके आगे कहा,
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अरब जगत के लोग मानते हैं कि पाकिस्तान में जिस तरह इसलामी बहुमतवाद था, भारत में हिन्दू बहुमतवाद वैसा ही होता जा रहा है। वे लोग अब भारत को पाकिस्तान या बांग्लादेश से अलग नहीं मानते हैं।
संजय कुमार, भारत संवाददाता, अरब न्यूज़
भारत का असर कम
संजय कुमार ने यह भी कहा कि भारत ने 70 में जो एक धर्मनिरपेक्ष, सहिष्णु, उदार नैरेटिव बनाया है, उस पर संगठित व सोची समझी रणनीति के तहत हमला किया जा रहा है। चिंता की बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय में लोग इस बात पर चिंता जता रहा है कि यही हाल रहा तो दक्षिण पूर्व एशिया में भारत को जिस तरह से एक संतुलन कायम करने वाली ताक़त माना जाता था, वह अब नहीं रहा।
वे कहते हैं कि "भारत का प्रभाव कम हो रहा है, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का वजन कम हो रहा है और लोगों का नजरिया तेजी से बदल रहा है।"
बता दें कि हरिद्वार में 17 से 19 दिसंबर को आयोजित धर्म संसद में हिंदुत्व को लेकर साधु-संतों के विवादित भाषणों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए थे।
इन वीडियो में धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र उठाने, मुसलिम प्रधानमंत्री नहीं बनने देने, मुसलिम आबादी नहीं बढ़ने देने समेत धर्म की रक्षा के नाम पर विवादित भाषण देते हुए साधु-संत दिखाई दिए थे।
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