अमेरिका ने साफ़ शब्दों में कहा है कि चीन हर मोड़ पर भारत को उकसाने वाली कार्रवाई कर रहा है। इसने लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन द्वारा समझौते का उल्लंघन किए जाने का ज़िक्र किया है। इसके साथ ही उसने यह भी कहा है कि अमेरिका भारत को हर तरह की सुरक्षा क्षमता को मज़बूत के प्रति दृढ़संकल्प है।
यह बात अमेरिकी राजनयिक ने अमेरिकी संसदीय समिति से कही है। दक्षिण और मध्य एशिया के सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू ने निकट पूर्व, दक्षिण एशिया, मध्य एशिया और आतंकवाद विरोधी सीनेट उपसमिति के सदस्यों से कहा, 'जिस तरह लगातार उकसाने वाला चीन संयुक्त राज्य अमेरिका को चुनौती दे रहा है, वह भारत को हर मोड़ पर उकसा रहा है।'
अमेरिकी अधिकारी का यह बयान तब आया है जब चीन और भारत के बीच डेढ़ साल से लगातार तनाव या खटपट की ख़बरें आ रही हैं। पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद मई 2020 को पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध शुरू हुआ था। 15 जून 2020 को गलवान घाटी में झड़प के बाद तनाव काफी बढ़ गया था। भारत ने इस घटना को लेकर चीन पर आरोप लगाया था कि उसने समझौते का उल्लंघन किया था।
इसके बाद चीन ने एक नया मानचित्र भी छापा था जिसमें उसने अरुणाचल प्रदेश के कई इलाक़ों पर दावा किया था और कई जगहों के नाम चीनी भाषा के नाम से बदल दिया था।
अमेरिकी राजनयिक ने इन्हें चीन की उकसावे वाली कार्रवाई करार दिया है। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार डोनाल्ड लू ने कहा, 'चीन द्वारा भारतीय सीमा पर हमले के लिए ज़िम्मेदार रेजिमेंट कमांडर को मशाल ले जाने वाले के तौर पर चुनने के बाद भारत ने बीजिंग ओलंपिक खेलों का राजनयिक बहिष्कार किया। 2020 में सीमा पर हमले में 20 भारतीय सैनिक मारे गए थे।'
रिपोर्ट के अनुसार, लू ने सांसदों से यह भी कहा कि अमेरिका भारत के साथ अपनी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने के लिए काम कर रहा है।
दरअसल, भारत को चीन के मुक़ाबले में खड़ा होने में अमेरिका का फायदा जुड़ा है। दुनिया पर सबसे ताक़तवर होने की धौंस को अमेरिका को कायम रखना है तो चीन और रूस से निपटना होगा। इसके लिए अमेरिका को जाहिर तौर पर भारत का साथ चाहिए होगा। खासकर चीन पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका को भारत की ज़रूरत होगी। और ऐसा तभी हो सकता है जब भारत के साथ उसके संबंध मज़बूत हो।
यही वजह है कि रूस से एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के बाद प्रतिबंध लगाने की बार-बार धमकी के बावजूद अमेरिका भारत पर प्रतिबंध नहीं लगा पाया है। बाइडेन प्रशासन ने अब तक रूस के साथ व्यापार के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाने वाले क़ानून को लागू करने में देरी की है।
ऐसे सामरिक हितों को ध्यान में रखकर ही क्वाड का गठन किया गया है। नवंबर 2017 में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने चीन की बढ़ती सेना के बीच इंडो-पैसिफिक में महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिए एक नई रणनीति विकसित करने के लिए क्वाड की स्थापना की।
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