यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के चेयरमैन मनोज सोनी ने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सूत्रों ने बताया कि मनोज सोनी का इस्तीफा अभी तक स्वीकार नहीं किया गया है।
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मनोज सोनी प्रधानमंत्री मोदी के बहुत नजदीकी लोगों में हैं। यूपीएससी में उन्हें गुजरात से लाया गया था। इस्तीफे के बाद वो गुजरात लौट रहे हैं और वहां धार्मिक-सामाजिक गतिविधियों में जुटेंगे।
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, यूपीएससी के चेयरमैन का इस्तीफा उनके कार्यकाल की समाप्ति से पांच साल पहले और कार्यभार संभालने के एक साल बाद आया है। उनका कार्यकाल 2029 में समाप्त होने वाला है। मनोज सोनी 2017 में आयोग के सदस्य बने और पिछले साल 16 मई को चेयरमैन के रूप में पद की शपथ ली।
मनोज सोनी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता है। यह मोदी ही थे जिन्होंने 2005 में उन्हें वडोदरा के प्रसिद्ध एमएस विश्वविद्यालय के कुलपति के रूप में चुना था जब वह सिर्फ 40 वर्ष के थे। इससे वह देश के सबसे कम उम्र के वीसी बन गये। यूपीएससी में नियुक्ति से पहले, सोनी ने गुजरात में दो विश्वविद्यालयों में कुलपति के रूप में तीन कार्यकाल दिए। उन्होंने 2015 तक दो कार्यकाल के लिए डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय (बीएओयू) के वीसी के रूप में कार्य किया।
द हिंदू ने एक अंदरूनी सूत्र के हवाले से बताया, "उन्होंने लगभग एक महीने पहले इस्तीफा दे दिया था।" इस बात को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं है कि उन्हें कार्यमुक्त किया जाएगा या इस्तीफा स्वीकार किया जाएगा। सूत्र ने इस बात पर जोर दिया कि सोनी का इस्तीफा यूपीएससी उम्मीदवारों द्वारा फर्जी प्रमाणपत्र पेश करके रोजगार हासिल करने के विवाद से जुड़ा नहीं है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय हुआ है जब ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर से जुड़ा विवाद सुर्खियां बटोर रहा है। प्रोबेशनर अधिकारी ने कथित तौर पर जाली पहचान पत्र बनाए, विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया और प्रतिष्ठित सेवा में प्रवेश किया। शुक्रवार को आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा, 2022 से उनकी उम्मीदवारी रद्द करने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।
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