भारत में खुदकुशी पर एनसीआरबी का आंकड़ा चौंकाने वाला है। आंकड़ों से बहुत साफ है कि लोग पारिवारिक समस्याओं की वजह से ज्यादा खुदकुशी कर रहे हैं। लेकिन ये समस्याएं आर्थिक हालात की वजह से हैं, जबकि नेशनल क्राइम रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने उन्हें पारिवारिक हालात की वजह से खुदकुशी बताई है। एनसीआरबी की रिपोर्ट खुद कह रही है कि 2021 में खुदकुशी करने वालों में या तो दैनिक वेतन भोगी (डेली अर्नर्स) या अपना काम धंधा करने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी। 11,724 बेरोजगार लोगों ने भी 2021 में जान दी है। खुदकुशी करने वालों की तादाद 2021 में पहले के मुकाबले 26 फीसदी ज्यादा है। यानी 2020 के लॉकडाउन में लोगों पर जो संकट आया था, उससे लोग उबरे लेकिन 2021 में खुदकुशियां ज्यादा हुईं।
आम धारणा है कि नाकाम इश्क और आर्थिक हालात के चलते लोग आत्महत्या करते हैं। लेकिन 2021 में लोगों ने पारिवारिक समस्याओं और 'बीमारी' की वजह से ज्यादा जान दी। एनसीआरबी की रिपोर्ट इस बात पर मौन है कि जिन लोगों ने पारिवारिक समस्याओं और बीमारी की वजह से जान दी, क्या उनके सामने आर्थिक समस्या थी। क्योंकि उन दोनों वजहों से जो लोग आत्महत्या करते हैं, उसके पीछे पैसे की कमी ही असली वजह होती है। लेकिन एनसीआरबी ने उन मौतों को आर्थिक वजह से खुदकुशी का तथ्य नहीं बताया है।
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बहरहाल, एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक जहां इस तरह की मौतों में 33.2 प्रतिशत मौतों की वजह पारिवारिक समस्याएं थीं, वहीं 18.6 प्रतिशत मामलों में बीमारी कारण थी।
एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल देशभर में आत्महत्या से कुल 1,64,033 लोगों की मौत हुई थी, जो पिछले साल के आंकड़े से 7.2 प्रतिशत अधिक है।
ये आंकड़ा क्या कहता हैः रिपोर्ट में कहा गया है कि 1,18,979 पुरुष आत्महत्याओं में से, अधिकतम आत्महत्या दैनिक वेतन भोगियों (37,751) ने की। इसके बाद अपना काम करने वाले 18,80 लोगों और 11,724 बेरोजगार लोगों ने जान दी। देश में 2021 के दौरान कुल 45,025 महिलाओं ने भी तमाम वजहों से आत्महत्या की।
2020 में भी, आंकड़ों के अनुसार, 37,666 दैनिक वेतन भोगी लोगों ने आत्महत्या की जो कुल आंकड़े का 24.6 प्रतिशत थी। इस आंकड़े से भी स्पष्ट है कि आर्थिक हालात की वजह से ये खुदकुशियां हुई होंगी।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार अपना काम धंधा करने वालों की खुदकुशी में 16.73 फीसदी की सबसे ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे पीड़ितों की संख्या 2021 में बढ़कर 20,231 हो गई, जो 2020 में 17,332 थी।
एनसीआरबी ने यह भी नोट किया कि जो व्यक्ति सबसे कम आय वर्ग (प्रति वर्ष 1 लाख रुपये से कम आय वाले लोग) में आते हैं, ने पिछले साल आत्महत्या से होने वाली मौतों में सबसे बड़ी वृद्धि दर्ज की। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, महाराष्ट्र में ऐसी सभी मौतों का 13.5 प्रतिशत दर्ज किया गया, जिसके बाद तमिलनाडु (11.5 प्रतिशत) और मध्य प्रदेश (9.1 प्रतिशत) का स्थान रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भूकंप, बाढ़ या गर्मी जैसी प्राकृतिक आपदा के कारण आकस्मिक मौतें 2020 में 7,405 से घटकर 2021 में 7,126 हो गईं।
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