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लॉकडाउन के दौरान जिन प्रवासी मज़दूरों के सामने भूखों मरने की नौबत आई थी और कहा गया कि उनके वापस अपने-अपने राज्यों में लौटने के बाद भी खाने का संकट होगा, उनके प्रति राज्य सरकारें संवेदनहीन साबित हुई हैं। इन लौटे प्रवासी मज़दूरों को दिया जाने वाला मुफ़्त अनाज राज्यों ने या तो बाँटा ही नहीं या फिर बहुत कम बाँटा है। जिनके पास राशन कार्ड नहीं है उन क़रीब 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए केंद्र सरकार ने दो महीने तक प्रति माह 5 किलो मुफ्त अनाज देने की घोषणा की थी। लेकिन कम से कम 11 राज्यों ने जून महीने में एक फ़ीसदी भी राशन नहीं बाँटा। इसमें बीजेपी शासित गुजारत भी शामिल है। सबसे ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों वाले राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार में भी ऐसी ही स्थिति है।
कोरोना संकट के कारण लंबे समय तक चले लॉकडाउन के बीच उद्योग-धंधे बंद होने और मज़दूरों के रोज़गार छीनने के बीच यह ख़बर चौंकाने वाली है। यह संवेदनहीनता को भी दिखाता है। संवेदनहीनता इसलिए कि जब दूसरे राज्यों में फँसे इन मज़दूरों के पास खाने के लिए भी पैसे नहीं थे तो वे हज़ारों किलोमीटर पैदल चलकर घर पहुँचना चाह रहे थे। इनमें से अधिकतर दिहाड़ी मज़दूर थे। यानी रोज़ कमाने खाने वाले। यदि इन्हें कुछ दिन भी काम नहीं मिले तो इनके सामने खाने का संकट आ जाता है। इसी कारण जब वे अपने-अपने राज्यों को लौट रहे थे तो यह आशंका जताई गई कि लौटने के बाद भी उन्हें उन राज्यों में काम-धंधे बंद होने के कारण रोज़गार नहीं मिलेंगे और खाने का संकट रहेगा।
तब इसके लिए सरकार की ज़बरदस्त आलोचनाएँ की गई थीं। शहरों से प्रवासियों के पलायन पर आलोचना के बीच ही 14 मई को इसकी घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सुझाव दिया था कि मुफ़्त अनाज का यह आवंटन क़रीब 8 करोड़ प्रवासी मज़दूरों के लिए था।
उपभोक्ता मामलों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के ताज़ा आँकड़ों के आधार पर ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने इस पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसके अनुसार, सभी 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने मई और जून महीने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत आवंटित 8 लाख मीट्रिक टन अनाज का 80 प्रतिशत 6.38 लाख मीट्रिक टन उठाया। लेकिन उन्होंने 30 जून तक लाभार्थियों को केवल 1.07 लाख मीट्रिक टन यानी आवंटन का सिर्फ़ 13% अनाज ही ऐसे मज़दूरों को बाँटा है।
केवल 2.13 करोड़ लाभार्थियों को इसका लाभ मिला। इसमें मई महीने में 1.21 करोड़ और जून महीने में 92.44 लाख प्रवासी मज़दूरों ने मुफ़्त में अनाज लिया।
रिपोर्ट के अनुसार सबसे ज़्यादा 1,42,033 मीट्रिक टन उत्तर प्रदेश को आवंटित किया गया था, जिसने 1,40,637 मीट्रिक टन केंद्र से उठाया। मंत्रालय के अनुसार मई में राज्य ने लगभग 4.39 लाख लाभार्थियों को केवल 3,324 मीट्रिक टन यानी सिर्फ़ 2.03 प्रतिशत ही बाँटा। जून में तो सिर्फ़ 2.25 लाख लाभार्थियों को ही वितरित किया गया। बिहार ने 86,450 मीट्रिक टन का 100 प्रतिशत कोटा उठाया लेकिन मई में लगभग 3.68 लाख लाभार्थियों को केवल 1.842 मीट्रिक टन यानी 2.13% बाँटा गया और जून में किसी को भी नहीं दिया। उत्तर प्रदेश और बिहार दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है। हालाँकि दूसरे दलों की सरकार वाले राज्यों में भी स्थिति ठीक नहीं है।
ग्यारह राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश ने जून के दौरान लाभार्थियों को उनके द्वारा उठाए गए अनाज का 1 प्रतिशत भी वितरित नहीं किया। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, झारखंड, लद्दाख, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ राज्य तो पूरे दो महीने का कोटा उठा लेने के बावजूद मुफ़्त वाला अनाज लौट कर आए प्रवासी मज़दूरों को नहीं दिया। कम से कम 26 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने अपने आवंटन का 100 प्रतिशत केंद्र से उठा लिया है, लेकिन उनमें से एक ने भी पिछले दो महीनों में लाभार्थियों को पूरी मात्रा वितरित नहीं की।
कुछ राज्य अपने हिस्से के अनाज उठाने में भी पिछड़ गए हैं। ओडिशा ने भारतीय खाद्य निगम से केवल 388 मीट्रिक टन उठाया, जबकि इसके लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 32,360 मीट्रिक टन का आवंटन किया गया। मध्य प्रदेश ने अपने 54,642 मीट्रिक टन के आवंटन में से 1,963 मीट्रिक टन यानी 4% ही उठाया, जबकि छत्तीसगढ़ ने आवंटित 20,077 मीट्रिक टन में से केवल 944 टन यानी 5% ही उठाया।
गोवा और तेलंगाना सहित छह या सात राज्यों ने केंद्र को लिखकर जानकारी दी है कि वे इस योजना को लागू नहीं कर पाएँगे क्योंकि प्रवासी श्रमिक अपने राज्यों से बाहर चले गए हैं।
तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में राजस्थान ने अपने आवंटित कोटा का लगभग 100 प्रतिशत 44,662 मीट्रिक टन उठाया और 95 प्रतिशत वितरित किया। मई और जून में हरेक महीने 42.47 लाख लाभार्थियों को 42,478 मीट्रिक टन अनाज बाँटा गया। हरियाणा के लिए 12,649 मीट्रिक टन का आवंटन हुआ था जिसमें से इसने 6,463 मीट्रिक टन अनाज बाँट दिया। मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, हिमाचल प्रदेश, असम और कर्नाटक ने भी अच्छा प्रदर्शन किया।
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