बार एंड बेंच के मुताबिक दिल्ली हाईकोर्ट में गुरुवार 20 फरवरी को मामले की सुनवाई के दौरान उनके वकील त्रिदीप पैस ने कहा केवल एक व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा होने को आपराधिक गतिविधि का सबूत नहीं माना जा सकता।
वाट्सऐप ग्रुप और अपराध
उमर खालिद के मामले में कोर्ट की बाकी कार्यवाही बताने से पहले इन तथ्यों को जान लीजियेः- बॉम्बे हाईकोर्ट 2021 में फैसला सुना चुका है कि व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन को अन्य ग्रुप सदस्यों द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट के लिए आपराधिक रूप से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता।
- दिल्ली हाईकोर्ट ने जुलाई 2022 में फैसला सुनाया था कि व्हाट्सऐप ग्रुप का सदस्य होने पर कोई व्यक्ति आपराधिक रूप से उत्तरदायी नहीं बनता, अगर उसने कोई आपत्तिजनक पोस्ट नहीं की है।
- केरल हाईकोर्ट का फरवरी 2022 का फैसला है- ऐसा कोई कानून नहीं है जो व्हाट्सऐप ग्रुप एडमिन को अन्य सदस्यों द्वारा की गई पोस्ट के लिए उत्तरदायी बनाता हो।
दिल्ली हाईकोर्ट में उमर खालिद के वकील ने कहा, "मैंने (उमर खालिद) सिर्फ एक प्रदर्शन स्थल का स्थान वाट्सऐप पर साझा किया, वो भी जब किसी ने इसके लिए पूछा। किसी ने मुझे संदेश भेजा। अगर कोई मुझे सूचना देने के लिए चुनता है, तो मैं उसका जिम्मेदार कैसे हो सकता हूं। वैसे भी, संदेश में कोई आपराधिक बात नहीं कही गई थी।"
वरिष्ठ वकील त्रिदीप पैस नेकहा, "प्रदर्शन कैसे आयोजित किया जाएगा, इस संबंध में संदेश पोस्ट करने का आरोप मुझ पर नहीं लगाया गया है। मैंने केवल 5 संदेश भेजे हैं, मैंने प्रदर्शन स्थल के बारे में पूछे गए संदेशों का जवाब दिया है, एक संदेश तनाव कम करने के लिए भेजा है... मैंने किसी भी जुटान के बारे में एक भी संदेश पोस्ट नहीं किया है, चैट से मुझ पर कोई आरोप नहीं आता है। मैंने कुछ नहीं कहा, मुझे फंसाया गया है।"
- अदालत ने यह नोट किया कि खालिद जामिया जागरूकता व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा नहीं थे, और गवाहों द्वारा दर्ज किए गए बयान कि खालिद ने ग्रुप बनाया था, सिर्फ अफवाहें थीं।
पैस ने खालिद की लंबी अवधि तक अंडरट्रायल के रूप में हिरासत में रहने के आधार पर जमानत की मांग की।
खालिद की लंबी हिरासत के अलावा, पैस ने यह भी तर्क दिया कि पेंडिंग मुकदमे और आरोपों की वैधता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए।
बाकी को जमानत फिर उमर खालिद को क्यों नहींः अदालत से उमर खालिद ने अपने चार सह-आरोपियों जैसा व्यवहार करने की मांग की। उन सभी चार सह आरोपियों को जमानत मिल चुकी है। वकील पैस ने अदालत को बताया, "बाकी चार की तरह क्यों व्यवहार किया जाये, इसके लिए स्थितियां स्पष्ट हैं। अगर समान व्यवहार किया जाये तो मेरा मामला मजबूत है। मैं (उमर खालिद) खुरेजी में नहीं था, देवांगना वहां थीं और उन्हें जमानत मिल गई। नताशा, देवांगना और आसिफ इकबाल तन्हा पर उनसे अधिक भूमिका निभाने का आरोप लगाया गया है और उन्हें जमानत मिल गई है। फिर उमर खालिद का क्या कसूर है।"
अदालत 4 मार्च को इस केस में दलीलें सुनना जारी रखेगी। लेकिन पहले भी ऐसा हो चुका है। अदालत ने पहले भी दलीलें सुनी हैं लेकिन आरोपी उमर खालिद को जमानत नहीं मिली।
क्या है पूरा मामला
बीबीसी ने दिल्ली दंगों के बाद कई रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिनमें पीड़ितों के दहलाने वाले बयानों को दर्ज किया गया था। बीबीसी की ऐसी ही एक रिपोर्ट में पीड़ितों ने बताया था कि दिल्ली पुलिस उन लोगों से बयान बदलने के लिए दबाव डाल रही है। बीबीसी रिपोर्टर ने कर्दमपुरी इलाके में जाकर बयान दर्ज किये थे।
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