ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने भारत-चीन तनाव पर चिंता जताते हुए कहा कि दोनों देशों को आपसी बातचीत के ज़रिए सीमा विवाद को सुलझा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख की स्थिति 'बेहद गंभीर' है, 'बहुत ही चिंताजनक' है और ब्रिटेन उस पर 'नज़र रखे हुए' है।
जॉन्सन ने कंज़रवेटिव पार्टी के सांसद फ़्लिक ड्रमंड के एक सवाल के जवाब में ब्रिटिश संसद में कहा, 'हम दोनों ही पक्षों को बातचीत के ज़रिए सीमा समस्या का निपटारा करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।'
दूसरी ओर, भारत के विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत और चीन पूर्व लद्दाख में तनाव कम करने और सैनिकों को वापस बुलाने के लिए पहले हुई संधियों के आधार पर बात करने को तैयार हैं।
इसके पहले अमेरिकी संसद हाउस ऑफ़ रीप्रेजेन्टेटिव्स के विदेशी मामलों की समिति के प्रमुख इलियट एंजेल ने भी
भारत-चीन तनाव पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था, 'मैं वास्तविक नियंत्रण रेखा पर फ़िलहाल चल रहे चीनी आक्रमण से बेहद चिंतित हूं। चीन यह साफ़ कर देना चाहता है कि वह अंतरराष्ट्रीय मानकों के आधार पर समस्या को निपटाने के बजाय अपने पड़ोसी को डराना चाहता है।'
इसके पहले भारत और चीन में बढ़ते तनाव के बीच
अमेरिका ने दावा किया था कि वह दोनों देशों के संपर्क में है, उनसे बात कर रहा है और मामले को निपटाने में उनकी मदद कर रहा है।
राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने शनिवार को वाशिंगटन में कहा था, 'यह बहुत ही कठिन स्थिति है। हम भारत से बात कर रहे हैं, हम चीन से बात कर रहे हैं। उनके साथ बहुत बड़ी समस्या है।'
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने भी भारत-चीन तनाव पर चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था, 'पीएलए (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) ने भारत की सीमा पर तनाव बढ़ा दिया है, जो दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। चीन दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण कर रहा है और ग़ैरक़ानूनी ढंग से बड़े हिस्से पर दावा कर रहा है, यह महत्पूर्ण समुद्री रास्ते के लिए भी ख़तरा पैदा कर रहा है।'
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