कश्मीर के मुद्दे पर भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक ज़ोरदार झटका लगा है। इससे सरकार की विदेश नीति पर तो सवाल उठता ही है, इसकी कूटनीति भी सवाल के घेरे में आ जाती है। ब्रिटेन के मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी ने ब्राइटन में बुधवार को हुए अपने सम्मेलन में एक प्रस्ताव पारित कर कहा है कि भारत कश्मीर में जनमत संग्रह कराए।
सम्मेलन में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, 'सम्मेलन लेबर पार्टी से यह अपील करता है कि वह जेरेमी कोर्बिन या किसी और को यूएनएचआरसी में अपना प्रतिनिधि बना कर भेजे जो कश्मीर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और संचार जैसे बुनियादी मानवाधिकारों की बहाली तुरन्त करने की माँग करे।'
हस्तक्षेप!
पाकिस्तानी मूल की लेबर पार्टी सदस्य उज़्मा रसूल ने यह प्रस्ताव रखा था। उन्होंने यह भी कहा कि 'लंबे समय तक हम यह कहते रहे हैं कि कश्मीर दोतरफा मामला है, पर अब यह समय आ गया है कि हम इस पर हस्तक्षेप करें।' भारत ने इस प्रस्ताव पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है। प्रस्तावित लेबर फ़्रेन्ड्स ऑफ़ इंडिया के सालाना कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। यह कार्यक्रम भारत के उच्चायुक्त ने आयोजित किया था। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस पर अफ़सोस जताते हुए इसे जानकारी का अभाव और बेबुनियाद क़रार दिया है।
“
बग़ैर किसी सूचना के आधार पर लिए गए इन बेबुनियाद बातों पर हमें अफ़सोस है। साफ़ है, यह वोट-बैंक राजनीति की वजह से हुआ है। इस मुद्दे पर लेबर पार्टी या इसके किसी प्रतिनिधि से बात करने का कोई सवाल ही नहीं उठता है।
रवीश कुमार, प्रवक्ता, विदेश मंत्रालय
लेबर इंडियन कम्युनिटी इनगेजमेंट फ़ोरम के प्रमुख मनोज लडवा ने कहा कि 'वामपंथी उग्रपंथियों और जिहाद से सहानुभूति रखने वालों ने लेबर पार्टी पर कब्जा कर लिया है।'
अपनी राय बतायें