ट्विटर इंडिया ने ग्रीवांस अफ़सर यानी शिकायत सुनने वाला अधिकारी आख़िरकार नियुक्त कर ही दिया। इसकी वेबसाइट पर रेज़िडेंट ग्रीवांस अफ़सर के रूप में विनय प्रकाश और बेंगलुरु कार्यालय का पता अब दिखने लगा है। नये आईटी नियमों को लेकर सरकार से जारी तनातनी के बीच ट्विटर का यह फ़ैसला आया है। नए आईटी नियमों के तहत ट्विटर को शिकायत और निवारण प्रणाली के लिए भारतीय अधिकारियों को नियुक्त करना था। लेकिन ऐसा नहीं किए जाने के कारण हाल ही में यूज़रों के पोस्ट पर ट्विटर को मिली मुक़दमों से क़ानूनी सुरक्षा ख़त्म कर दी गई थी।
इससे पहले ट्विटर ने अंतरिम रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर धर्मेंद्र चतुर को नियुक्त किया था, लेकिन बाद में चतुर ने इस पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। यह तब हुआ था जब ग्रीवांस अफ़सर की नियुक्ति नहीं हुई थी और इस पर कंपनी और केंद्र सरकार के बीच ठनी हुई थी।
इस महीने की शुरुआत में ही ट्विटर ने एक अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी नियुक्त किया और कहा था कि वह जल्द ही दो अन्य अधिकारियों को अस्थायी रूप से नए आईटी नियमों का पालन करने के लिए नामित करेगा। इसने ग्रीवांस अफ़सर की नियुक्ति के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा था। इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कह दिया था कि जब तक ट्विटर नए आईटी नियमों को नहीं मानता है तब तक इसे क़ानूनी सुरक्षा नहीं मिलेगी।
यह क़ानूनी सुरक्षा हटने का ही नतीजा है कि सोशल मीडिया पर यूज़रों द्वारा कथित आपत्तिजनक पोस्टों के लिए ट्विटर के ख़िलाफ़ अब तक कम से कम 4 एफ़आईआर दर्ज की जा चुकी हैं। जून के आखि़र में एफ़आईआर चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी (बच्चों से जुड़ी अश्लीलता) को लेकर दर्ज़ की गई थी। यह एफ़आईआर पॉक्सो एक्ट और आईटी एक्ट की धाराओं के तहत दर्ज़ की गई।
जून महीने की ही शुरुआत में ट्विटर के ख़िलाफ़ ग़ाज़ियाबाद में बुजुर्ग की पिटाई के मामले में भी एफ़आईआर दर्ज़ की गई थी और इसके इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी से लोनी थाने में पेश होने के लिए कहा गया था। बाद में जम्मू और कश्मीर को देश के मैप से अलग दिखाने पर ट्विटर और ट्विटर इंडिया के प्रमुख मनीष माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज़ की गई थी। इसी मामले में मध्य प्रदेश में भी माहेश्वरी के ख़िलाफ़ एक और एफ़आईआर दर्ज़ की गई।
ट्विटर नए आईटी नियमों को लेकर सरकार से भिड़ गया है। इसकी शुरुआत तब हुई जब कथित 'कांग्रेस टूलकिट' मामले में बीजेपी नेताओं के ट्वीट को ट्विटर ने 'मैनिपुलेटेड मीडिया' के रूप में टैग किया। इसके बाद सरकार और ट्विटर के बीच तनातनी बढ़ती गई।
नए आईटी नियम 25 मई को लागू हुए हैं। इसके तहत जिन कंपनियों के यूजर्स की संख्या 50 लाख से ज़्यादा होगी, उन्हें ग्रीवांस अफ़सर नियुक्त करना होगा और उस अफ़सर का नाम, पता व फ़ोन नंबर साझा करना होगा। बड़ी सोशल मीडिया कंपनियों को चीफ़ कंप्लायंस अफ़सर, नोडल कंटैक्ट पर्सन और चीफ़ अफ़सर और रेज़िडेंट ग्रीवांस अफ़सर नियुक्त करना होगा।
अब ट्विटर इंडिया के ग्रीवांस अफ़सर के स्थान पर कंपनी का नाम और अमेरिका का इसका पता के साथ ही भारतीय व्यक्ति का नाम और पता भी दिखने लगा है।
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पहले इस जगह पर अंतरिम रेजिडेंट ग्रीवांस अफ़सर के रूप में धर्मेंद्र चतुर का नाम दिखता था।
बता दें कि ट्विटर ने पहले एक आउटसाइड कंसल्टेंट के नाम का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा था लेकिन केंद्र ने इससे ठुकरा दिया था और कहा था कि यह उसकी गाइडलाइंस या नियमों के विपरीत है।
ट्विटर की तरह कुछ दिन पहले वाट्सऐप ने भी केंद्र सरकार के इन नए नियमों के ख़िलाफ़ ताल ठोकी थी और दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि इन नियमों से यूज़र की निजता की सुरक्षा भंग होगी। वाट्सऐप ने अदालत से कहा था कि नये क़ानूनों में से एक का प्रावधान असंवैधानिक है और यह लोकतंत्र के सिद्धातों के ख़िलाफ़ है।
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