केंद्र सरकार देशभर में टमाटर की बढ़ती कीमतों पर जाग उठी है। अब उसने आज बुधवार 12 जुलाई को अपनी एजेंसियों- नेशनल एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (NAFED) और NCCF- को आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र की मंडियों से तुरंत टमाटर और मुख्य सब्जी खरीदने का निर्देश दिया है। ताकि टमाटर की आसमान छूती कीमतों पर नियंत्रण पाया जा सके।
देश में टमाटर की कीमतें 100 रुपये से लेकर 200 रुपये तक पहुंच गई हैं। हालांकि सरकार ने कहा है कि मूल्य वृद्धि अस्थायी है और 15-30 दिनों में नियंत्रित हो जाएगी, लेकिन बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि यह इतनी जल्दी नहीं हो सकता है। दिल्ली के आजादपुर थोक बाजार में टमाटर की कीमतें जून से जुलाई के बीच 1315% बढ़कर 451 रुपये प्रति क्विंटल से 6,381 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। आजादपुर मंडी में आवक में लगभग 40 प्रतिशत की गिरावट आई है।
टमाटर की कीमतों में वृद्धि पूरे देश में दर्ज की जा रही है, न कि सिर्फ किसी विशेष क्षेत्र तक सीमित है।इसीलिए सरकार अब अपनी एजेंसियों के जरिए खरीद कर इन्हें प्रमुख कंस्यूमर (उपभोक्ता) केंद्रों में एक साथ वितरण के लिए भेजेगी। जहां पिछले एक महीने में खुदरा कीमतों में अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई है।
भारत में टमाटर का उत्पादन लगभग सभी राज्यों में होता है, हालाँकि अलग-अलग मात्रा में। अधिकतम उत्पादन भारत के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में होता है, जो कुल उत्पादन में 56-58 फीसदी का योगदान देता है।
रोपण और कटाई के मौसम का चक्र और क्षेत्रों में भिन्नता मुख्य रूप से टमाटर की कीमत की मौसमी स्थिति के लिए जिम्मेदार है। सामान्य मूल्यों पर असर मौसम के अलावा, अस्थायी रूप से सप्लाई चेन में बाधा आदि के कारण भी वृद्धि का कारण बनते हैं।
सरकार ने कीमतों में वृद्धि के लिए मॉनसून के मौसम को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि इससे वितरण संबंधी चुनौतियां और बढ़ गईं। टमाटर की शेल्फ लाइफ अपेक्षाकृत कम होती है। वर्तमान में, गुजरात, मध्य प्रदेश और कुछ अन्य राज्यों के बाजारों में आपूर्ति ज्यादातर महाराष्ट्र विशेषकर सतारा, नारायण गांव और नासिक से होती है, जो इस महीने के अंत तक रहने की उम्मीद है।
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