loader
रुझान / नतीजे चुनाव 2024

झारखंड 81 / 81

इंडिया गठबंधन
57
एनडीए
23
अन्य
1

महाराष्ट्र 288 / 288

महायुति
230
एमवीए
51
अन्य
7

चुनाव में दिग्गज

बाबूलाल मरांडी
बीजेपी - धनवार

आगे

पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व

आगे

राम जन्मभूमि-बाबरी मसजिद विवाद मामले में कब क्या हुआ

1853

नवाब वाज़िद अली शाह के ज़माने में पहली बार हिंसक वारदात हुई। निर्मोही अखाड़े ने दावा किया कि बाबर के समय एक हिंदू मन्दिर को गिरा कर वहां मसज़िद बनवाई गई थी।

1859

ब्रितानी हुक़ूमत ने मंदिर और मसज़िद के बीच एक दीवार खड़ी करवा दी। मुसलमानों को अंदरूनी हिस्से का इस्तेमाल करने की इजाज़त दी गई तो हिंदूओं के लिए बाहरी आँगन छोड़ दिया गया।

1885

महंत रघुबीर दास ने जनवरी में मामला दायर कर मसजिद के बाहर बने राम चबूतरे के ऊपर छतरी बनाने की अनुमति माँगी। फ़ैजाबाद के ज़िला प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया।

1949

मसज़िद के अंदर भगवान राम की मूर्ति पाई गई। हिंदू समूहों पर आरोप लगा कि उन्होंने वहाँ वह प्रतिमा रख दी। हिंदू और मुसलमान, दोनों पक्षों ने मामले दायर किए। सरकार ने इस इलाक़े को विवादित घोषित कर दिया और परिसर के मुख्य द्वार पर ताला जड़ दिया।

1950

गोपल सिंह विशारद और महंत परमहंस रामचंद्र दास ने फ़ैजाबाद ज़िला अदालत में याचिका दायर की। उन्होंने माँग की कि 'राम जन्मस्थान' पर मौजूद राम की मूर्ति की पूजा करने की इजाज़त दी जाए। परिसर का अंदरूनी हिस्सा बंद ही रखा गया, पर बाहरी हिस्से में पूजा की अनुमति दे दी गई।
ram temple-babri mosque dispute timeline - Satya Hindi

1959

निर्मोही अखाड़े ने अदालत में मामला दायर कर उस इलाक़े को अपने क़ब्ज़े में लेने की अनुमति माँगी। उसने 'राम जन्मभूमि' का संरक्षक होने का दावा भी पेश किया।

1961

सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने मसज़िद के अंदर मूर्ति रखने के ख़िलाफ़ मामला दायर किया। उसने दावा किया कि मसज़िद और उसके आसपास का इलाक़ा कभी क़ब्रिस्तान था।

1984

हिंदू समूहों ने एक कमिटी बना कर 'जन्मस्थान' पर राम मंदिर बनाने के लिए आंदोलन शुरू किया। यह आंदोलन भारतीय जनता पार्टी के हाथों चला गया और लालकृष्ण आडवाणी इसके नेता बन गए।

1986

हरिशंकर दुबे नाम के एक आदमी ने ज़िला अदालत में याचिका दायर कर माँग की कि मसजिद का दरवाज़ा खोल दिया जाए और हिंदुओं को वहाँ पूजा करने की अनुमति दे दी जाए। अदालत ने इसकी इजाज़त दे दी। इसका विरोध करने के लिए मुसलिम संगठनों ने बाबरी मसज़िद एक्शन कमिटी का गठन किया।

1989

विश्व हिंदू परिषद ने बाबरी मसजिद के बगल की ज़मीन पर राम मंदिर का शिलान्यास कर दिया। परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष देवकीनंदन अगरवाल ने मामला दायर कर माँग की कि मसजिद का वहाँ से हटा कर कहीं और ले जाया जाए। उन्होंने यह माँग भी की कि इस मामले से जुड़े सभी मुक़दमे हाई कोर्ट की विशेष पीठ बना कर उसे सौंप दिए जाएँ।
ram temple-babri mosque dispute timeline - Satya Hindi
बीजेपी के लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा निकाली, जिससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण तेज़ हुआ।
ram temple-babri mosque dispute timeline - Satya Hindi
6 दिसंबर, 1992 को बाबरी मसजिद ढहा दी गयी।

1990

विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता मसज़िद के ऊपर चढ़ गए और तोड़फोड़ करके उसे क्षति पहुँचाई। तत्कालीन प्रधानमन्त्री चंद्रशेखर ने हस्तक्षेप किया और बातचीत कर मामले को सुलझाने की कोशिश की। पर बातचीत नाकाम रही। लालकृष्ण आडवाणी ने सितम्बर महीने में अयोध्या विवाद पर लोगों में जागरूकता फैलाने के नाम पर रथयात्रा शुरू की।

1991

भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में सरकार बना ली। राम मन्दिर के नाम पर आंदोलन तेज़ हो गया। बीजेपी और वीएचपी के कार्यकर्ता हज़ारों की तादाद में कारसेवा के लिए अयोध्या आने लगे।

1992

बाबरी मसजिद 6 दिसंबर को ढहा दी गई। बीजेपी, वीएचपी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने कारसेवा के नाम पर यह किया। उत्तर प्रदेश की सरकार बर्ख़ास्त कर दी गई। देश भर में दंगे हुए। इन दंगों में दो हज़ार से ज़्यादा लोग मारे गए। केन्द्र सरकार ने जस्टिस एमएस लिब्रहान की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया। आयोग से कहा गया कि वह बाबरी विध्वंस की पूरी जाँच करे। 

2001

बाबरी विध्वंस की 11वीं बरसी पर पूरे देश में तनाव रहा। वीएचपी ने राम मंदिर वहीं बनाने की बात एक बार फिर कही। 

2002

फ़रवरी में अयोध्या से अहमदाबाद जा रही ट्रेन के एक डिब्बे में गुजरात के गोधरा स्टेशन के पास आग लगा दी गई। इसमें 58 लोग मारे गए। समझा जाता है कि वे सब गुजरात लौट रहे कारसेवक थे। गुजरात में जगह-जगह दंगे हुए, एक हज़ार से अधिक लोग मारे गए। आरोप है कि राज्य सरकार ने दंगाइयों को शह दी।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वे से यह पता लगाने को कहा कि क्या मसजिद वाली जगह पर पहले मंदिर था।अप्रैल में हाई कोर्ट के तीन जजों ने इसकी सुनवाई शुरू की कि विवादित जगह किसकी है।
ram temple-babri mosque dispute timeline - Satya Hindi
साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गयी।
ram temple-babri mosque dispute timeline - Satya Hindi
साबरमती एक्सप्रेस आगजनी के बाद गुजरात में दंगे भड़क उठे।

2003

पुरातत्व विभाग ने मसजिद वाली जगह की जाँच शुरू की। उसने कहा कि इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि मसजिद वाली जगह पर पहले मंदिर था। सितम्बर में अदालत ने कहा कि बाबरी विध्वंस के लिए हिंदू नेताओं पर मुक़दमा चलना चाहिए। आडवाणी को निर्दोष पाया गया।

2004

उत्तर प्रदेश की एक अदालत ने कहा कि आडवाणी को निर्दोष बताने वाले आदेश की समीक्षा की जानी चाहिए।

2005

संदिग्ध इस्लामी चरमपंथियों ने विवादित स्थल पर हमला बोल दिया। सुरक्षा बलों ने पाँच चरमपंथियों को मार गिराया। एक आदमी ज़ख़्मी हुआ।

2009

लिब्रहान आयोग ने अपनी रपट सौप दी। इस रपट में बीजेपी के नेताओं को बाबरी विध्वंस के लिए ज़िम्मेदार माना गया। 

2010

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवाद से जुड़े चार टाइटल सूट पर अपना फ़ैसला सुनाया। अदालत ने ज़मीन को तीन हिस्सों में बाँटने का फ़ैसला दिया। कहा कि सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड, राम लला का प्रतिनिधित्व करने वाली हिंदू महासभा और निर्मोही अखाड़े को बराबर-बराबर हिस्सा दिया जाए। हिंदू महासभा और सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने फ़ैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट मे अपील की।

2011

सुप्रीम कोर्ट ने ज़मीन के टुकड़े करने पर रोक लगा दी। कहा कि स्थिति जस-की-तस रखी जाए।

2015

वीएचपी ने राम मंदिर निर्माण के लिए पूरे देश से पत्थर इकट्ठा करने का काम शुरू किया। महंत नृत्यगोपाल ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार मन्दिर बनाने के पक्ष में है। राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि मन्दिर निर्माण के लिए पत्थर विवादित जगह पर नहीं लाने दिया जाएगा।

2017

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आडवाणी और दूसरे बीजेपी नेताओं के ख़िलाफ़ बाबरी विध्वंस का मामला निरस्त नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला संवेदनशील है और इसलिए अदालत के बाहर इसे सुलझा लिया जाए।

2019 

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बने एक खंठपीठ ने एक अहम फ़ैसले में विवादित ज़मीन राम मंदिर के निर्माण के लिए दे दिया और सरकार से कहा कि वह मसजिद बनाने के लिए सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को अलग ज़मीन दे। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें