रफ़ाल विमान सौदे के दस्तावेज़ चोरी होने के मामले में रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाख़िल किया है। बुधवार को दाख़िल किए गए हलफ़नामे में मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि चोरी किए गए दस्तावेज़ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील हैं और यह लड़ाकू विमान की युद्धक क्षमता से संबंधित हैं। सरकार ने कहा है कि इस मामले की आंतरिक जाँच शुरू कर दी गई है।
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हलफ़नामे में कहा गया है कि रफ़ाल लड़ाकू विमान डील के संवेदनशील दस्तावेजों को चुराकर इनकी फोटो कॉपी की गई और इससे राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरा पैदा हो गया है। हलफनामे में केंद्र ने यह भी कहा है कि याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण संवेदनशील सूचनाएँ लीक करने के दोषी हैं।
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ग़ौरतलब है कि हाल ही में अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि रफ़ाल लड़ाकू विमान के सौदे के दस्तावेज़ चुरा लिए गए हैं। अटॉर्नी जनरल का कहना था कि इस मामले में दायर पुनर्विचार याचिकाओं का आधार ही चुराए गए दस्तावेज़ों पर टिका है, लिहाज़ा, इन याचिकाओं को खारिज कर दिया जाना चाहिए। हालाँकि बाद में अटॉर्नी जनरल की ओर से बयान आया था कि दस्तावेज चुराए नहीं गए हैं बल्कि याचिकाकर्ताओं ने आवेदन में मूल दस्तावेज़ों की फ़ोटो कॉपी का इस्तेमाल किया है, जो गोपनीय हैं। इसके साथ ही यह ऑफ़िशियल सीक्रेट्स एक्ट का भी उल्लंघन है।
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अटार्नी जनरल के बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा था कि रफ़ाल मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुक़दमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं, लिहाज़ा उनके ख़िलाफ़ तुरंत मुक़दमा चलाया जाना चाहिए। उन्होंने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा था कि यह बिल्कुल साफ़ है कि ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी रफ़ाल के भ्रष्टाचार में शामिल थे और उन्होंने इस मुद्दे पर समानान्तर बातचीत की थी ताकि वे अनिल अंबानी की कंपनी की मदद कर सकें। बता दें कि हाल ही में अंग्रेजी अख़बार 'द हिंदू' ने रफ़ाल सौदे से जुड़ी कई रिपोर्ट छापी थीं, जिनमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री कार्यालय इस सौदे में समानांतर बातचीत कर रहा था।
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