बेहद ख़राब दौर से गुज़र रही कांग्रेस की मुश्किलें दिवंगत राष्ट्रपति और पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणब मुखर्जी की आने वाली किताब के कारण और बढ़ सकती हैं। बिहार चुनाव के नतीजों के बाद कपिल सिब्बल की टिप्पणी को लेकर जितना घमासान कांग्रेस में हुआ, पार्टी उससे पहले से ही पस्त है।
जनवरी में आने वाली मुखर्जी की किताब ‘द प्रेसीडेंशियल ईयर्स’ में लिखी कुछ बातें सामने आई हैं, जिसके बाद उठने वाले सवालों को जवाब देने में पार्टी को ख़ासी मुश्किल होगी। पश्चिम बंगाल से आने वाले मुखर्जी का अगस्त में निधन हो गया था।
मुखर्जी 2012 में राष्ट्रपति चुने गए थे। उन्होंने इस किताब में इस बात की पड़ताल करने की कोशिश है कि आख़िर कांग्रेस 2014 के लोकसभा चुनाव में क्यों हारी।
मनमोहन सरकार में वित्त मंत्री रहे मुखर्जी ने लिखा है कि सोनिया गांधी पार्टी के मामलों को सुलझाने में सक्षम नहीं थीं जबकि मनमोहन सिंह की सदन से लंबी ग़ैर हाजिरी की वजह से उनका सांसदों के साथ कोई संपर्क ही नहीं हो पाता था।
मोदी-मनमोहन की तुलना
मुखर्जी ने अपनी किताब में मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की तुलना की है। उन्होंने लिखा है, ‘जहां डॉ. मनमोहन सिंह गठबंधन को बचाने के लिए चिंतित रहते थे और इससे सरकार के कामकाज पर असर पड़ता था, जबकि मोदी अपने पहले कार्यकाल में तानाशाह की तरह काम करते दिखाई दिए और इससे सरकार, विधायिका और न्यायपालिका के बीच रिश्ते ख़राब हुए।’
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सूत्रों के मुताबिक़, इस किताब में मोदी के कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने के विवादास्पद फ़ैसलों और नोटबंदी का भी जिक्र है।
मुखर्जी बेहद अनुभवी राजनेता थे और उन्होंने केंद्र में वित्त, विदेश जैसे अहम विभागों को लंबे वक़्त तक संभाला था। उन्हें कुशल राजनेता, सक्षम प्रशासक माना जाता था। कहा जाता है कि उनके कांग्रेस नेतृत्व के साथ रिश्ते बेहतर नहीं रहे। उन्होंने कांग्रेस छोड़कर राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस बनाई थी।
प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति पद से हटने के बाद तीन खंडों में एक किताब 'द कोएलिशन ईयर्स' लिखी थी। इस किताब में उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ाव, अनुभव और तमाम राजनीतिक स्थितियों और यूपीए सरकार के फ़ैसलों की चर्चा की थी।
देखना होगा कि प्रणब मुखर्जी की किताब जब लोगों के हाथ में आ जाएगी तो क्या उसमें और कुछ ऐसा लिखा होगा, जिससे कांग्रेस नेतृत्व को परेशानी होगी और पार्टी उनका जवाब कैसे देगी।
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