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जम्मू में क्यों बढ़ रहा आतंकवाद, कौन है इसके पीछे, इनकी चेतावनी पढ़िए

आतंकवाद के मामले में जम्मू का इलाका अपेक्षाकृत शांत माना जाता है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर में धारा 370 खत्म कर राज्य को तीन हिस्सों में बांट दिया गया और उसके विशेष दर्जे को खत्म कर दिया गया। 2020 में कोरोना आया। चार साल की शांति के बाद कश्मीर के अलावा जम्मू में भी आतंकी घटनाएं होने लगीं। 2023 में जहां ये घटनाएं जम्मू के पुंछ और राजौरी में ही ज्यादा हुईं लेकिन 2024 में कुछ नए जिलों में आतंकी घटनाएं हो रही हैं। जम्मू क्षेत्र के डोडा, कठुआ और रियासी में आतंकी घटनाएं सेना और सरकार की चिन्ता का नया सबब है।
इन आतंकी घटनाओं में सेना के अलावा आम नागरिक भी निशाना बनाए जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि जम्मू में अचानक आतंकवाद बढ़ने की वजह क्या है और इसके पीछे कौन है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के एक्टिविस्ट अमजद अयूब मिर्जा के ट्वीट से लगाया जा सकता है। यह शख्स तीन दिनों से ट्वीट करके पाकिस्तानी सेना की जम्मू क्षेत्र में की जा रही गतिविधियों की जानकारी दे रहा है। अमजद खुद को भारतीय मानते हैं। वे पीओके पर पाकिस्तान का कब्जा बताते हुए इसे भारतीय क्षेत्र मानते हैं। वे भारतीय सेना को हमारी सेना कहते हैं.
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एक्टिविस्ट अमजद अयूब मिर्जा ने 28 जुलाई को बताया कि एसएसजी जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल आदिल रहमानी जम्मू क्षेत्र में हमले करा रहे हैं। एसएसजी की एक पूरी बटालियन घुसपैठ कर चुकी है यानी कम से कम 600 कमांडो कुपवाड़ा क्षेत्र में हैं और कहीं नहीं। जम्मू में स्थानीय जिहादी स्लीपर सेल सक्रिय हैं और भारतीय क्षेत्र के अंदर एसएसजी की सहायता कर रहे हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल शाहिद सलीम जंजुआ अभी भारतीय क्षेत्र जम्मू में हैं और हमलों की कमान संभाल रहा है। उनका फोकस भारतीय सेना की 15वीं कोर को इसमें उलझाना है।  एसएसजी की दो और बटालियनें मुजफ्फराबाद में जम्मू-कश्मीर के रास्ते भारतीय क्षेत्र में प्रवेश के लिए तैयार हैं।

एक्टिविस्ट अमजद अयूब मिर्जा की सटीक जानकारी को जरूर भारतीय सेना ने भी देखा ही होगा। लेकिन भारतीय सेना ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और न ही भारतीय मीडिया ने इस पर कोई तवज्जो दी। लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों ने शंका जताई कि 600 पाकिस्तानी एसएसजी के सैनिक जम्मू क्षेत्र में घुसपैठ नहीं कर सकते। इसका जवाब अमजद मिर्जा ने अगले दिन ही दे दिया।
पीओके के एक्टिविस्ट अमजद अयूब मिर्जा ने 29 जुलाई को एक्स पर लिखा-  पाकिस्तान एसएसजी कमांडो ने 7 से 12 किलोमीटर लंबी मानव रहित एलओसी सीमा पर 50 के समूह में घुसपैठ की। मुझे हैरानी है कि भारतीय मीडिया ने इसे नहीं उठाया और सरकार भारतीय जनता से सच्चाई छिपा रही है। पाकिस्तान ने आज (सोमवार) लाओस में 31वीं ASEAN बैठक में बात की और 'कश्मीर और गजा' का मुद्दा उठाया! लेकिन अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक मोर्चे पर हम अनुपस्थित हैं, पूरी तरह अनुपस्थित हैं। क्यों? कोई सुन क्यों नहीं रहा? देख रहा? और उसी अनुसार काम करना? कारगिल में बिल्कुल यही हुआ। जब पाकिस्तान हमारे (भारतीय) क्षेत्र में घुस आया तो भारतीय खुफिया विभाग खर्राटे ले रहा था। इस घोर लापरवाही के लिए किसी को तो जवाबदेह होना ही होगा।'

इसके बाद उनका एक और ट्वीट आया, जिसमें उन्होंने क्षेत्रवार बताया कि जम्मू के किन-किन इलाकों में पाकिस्तान के एसएसजी कमांडो ने घुसपैठ की है। उन्होंने एक्स पर लिखा है- उरी में 150 का समूह, जिसे 50-50 में विभाजित कर 3 उपसमूहों में शामिल किया गया। पुंछ में 150 का समूह, जिसे 3 उप समूहों को विभाजित कर पुंछ में प्रवेश कराया गया है। राजौरी में 150 एसएसजी कमांडो को 50 सैनिकों के 3 उप समूहों में विभाजित किया गया, प्रत्येक समूह ने प्रवेश किया। 50 पाकिस्तानी सेना के जवान एसएसजी बटालियन को रसद सहायता प्रदान कर रहे हैं। एलओसी पर 100 जवान रिजर्व में तैनात हैं वे कुलियों और स्थानीय लोगों के भेष में भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ कर चुके हैं। अब वे छिपने और भविष्य में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए स्थानीय आबादी में शामिल हो गए हैं।

खतरनाक इरादे

मिर्जा ने एक और ट्वीट में लिखा है-  मैंने कभी यह दावा नहीं किया कि एसएसजी की इस बटालियन ने भारतीय सेना पर हमला किया है। मैं इस खबर पर कायम हूं कि 600 लोगों ने भारतीय जम्मू और कश्मीर के अंदर घुसपैठ की है।  आने वाले दिनों में वे तबाही मचाने की योजना बना रहे हैं। मैं अब पुष्टि कर सकता हूं कि वे एके-47 राइफल, आरपीजी-7, पिस्तौल और खंजर से लैस हैं। मेरे भगवान शिव हमारी भारत माता की उनके बुरे इरादों से रक्षा करें।

जम्मू में जुलाई में सेना के 12 जवान और अधिकारी मारे गए। 9 जून को, जम्मू इलाके में वर्ष का सबसे घातक हमला हुआ। क्षेत्र में एक मंदिर की ओर जा रही बस पर आतंकवादियों की गई गोलीबारी में नौ लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। जम्मू के 10 जिलों में से एक रियासी में हुई गोलीबारी हाल के महीनों में क्षेत्र में सेना और नागरिकों पर हुए कई हमलों में से एक है। सरकार दावा करती रही है कि धारा 370 खत्म होने के बाद कश्मीर में आतंकवाद कम हुआ है। लेकिन आंकड़े सरकार के दावे को झुठलाते हैं।

विशेष रूप से जम्मू में क्षेत्र में उग्रवाद लौट आया है। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2021 के बाद से जम्मू में 33 आतंकवादी-संबंधित हमले हुए हैं। अकेले 2024 में इस क्षेत्र में आठ हमले हुए हैं, जिनमें 11 सैनिक मारे गए और 18 घायल हुए हैं। इस साल के पहले छह महीनों में जम्मू में आतंकियों के हाथों नागरिकों की मौत 12 थी, जो पूरे 2023 में हुई मौतों के बराबर है।

ये हमले राजौरी, पुंछ, डोडा, कठुआ, उधमपुर, रियासी और जम्मू संभाग के अन्य इलाकों में हुए। कश्मीर घाटी की तरह, जम्मू भी नियंत्रण रेखा के पास है, जो पाकिस्तान के साथ वास्तविक सीमा है। भारत ने इस्लामाबाद पर आतंकवादियों को ड्रोन के जरिए हथियार, ड्रग्स और पैसे की आपूर्ति करने का आरोप लगाया है। पाकिस्तान ने इन आरोपों पर आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू में हाल के हमलों से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधि जम्मू के गावों में भीतर तक फैल गई है। कुछ लोगों का कहना है कि इसका एक कारण कश्मीर घाटी में सुरक्षा बलों की सबसे ज्यादा उपस्थिति और खुफिया गतिविधि हो सकती है, जिसने आतंकवादियों को दक्षिण यानी जम्मू की ओर बढ़ने के लिए मजबूर किया होगा। अन्य विशेषज्ञ कहते हैं कि यह कश्मीर के अन्य रणनीतिक क्षेत्रों से सेना का ध्यान हटाने का एक जानबूझकर किया गया प्रयास है। बहरहाल, पीओके एक्टिविस्ट की चेतावनी इस बात की पुष्टि तो कर ही रही है कि जम्मू इलाका पाकिस्तानी सेना का नया टारगेट है।  

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क़मर वहीद नक़वी
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