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तालिबान ने अफ़ग़ानिस्तान में रायटर्स के फ़ोटोग्राफ़र दानिश सिद्दीकी को पहचान कर, सोच समझ कर और जानबूझ कर उनकी हत्या की थी।
पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित फ़ोटोग्राफ़र दानिश सिद्दीकी की मौत संयोगवश नहीं हुई थी, न ही वे अफ़ग़ान सेना और तालिबान के बीच संघर्ष में फंस कर मारे गए थे।
यह सोची समझी हत्या थी, जिसकी ज़िम्मेदारी तालिबान पर है। एक मीडिया रिपोर्ट में यह कहा गया है।
दानिश सिद्दीकी अफ़ग़ान सेना के साथ एम्बेडेड जर्नलिस्ट के रूप में थे, यानी सेना के साथ ही चल रहे थे और तसवीरें ले रहे थे। अफ़ग़ानिस्तान के कांधार ज़िले के स्पिन बोल्डक नगर में वे मारे गए थे।
उस समय तालिबान ने उनकी मौत पर दुख जताया था और कहा था कि यदि वे यह जानते होते कि कोई पत्रकार वहाँ है तो सावधानी बरतते और कोशिश करते कि वह न मारा जाए।
अमेरिकी अख़बार 'वाशिंगटन रिपोर्टर' के अनुसार, दानिश सिद्दीकी अफ़ग़ान राष्ट्रीय सेना के साथ स्पिन बोल्डक शहर में थे और सीमा की ओर बढ़ रहे थे, जब तालिबान ने सेना पर हमला किया था।
इस हमले से अफ़ग़ान सेना दो टुकड़ियों में बंट गई और दानिश सिद्दीकी दूसरी टुकड़ी में थे, जिसमें तीन अफ़ग़ान सैनिक थे।
रिपोर्ट के मुताबिक़, दानिश सिद्दीकी को छर्रे लगे थे, वे ज़ख़्मी हो गए थे और प्राथमिक उपचार के लिए पास की मसजिद ले जाए गए। रिपोर्ट में कहा गया है,
तालिबान को पता चला कि दानिश मसजिद में हैं तो वे वहाँ पहुँच गए। जब तालिबान ने दानिश सिद्दीकी को पकड़ा, वे जीवित थे। उनकी पहचान की और उन्हें मार डाला। उनके साथ गए लोग और उन्हें बचाने के लिए आए कमान्डो भी मारे गए।
अमेरिकन इंटरप्राइज़ इंस्टीच्यूट के माइकेल रूबिन ने कहा, "हालांकि दानिश सिद्दीकी का एक फ़ोटो दिखाया गया, जिसमें उनका शरीर क्षत विक्षत नहीं है। लेकिन मैंने जो वीडियो देखे हैं, उससे साफ पता चलता है कि तालिबान ने दानिश के चेहरे पर चोट की, और उसके बाद उन्हें गोलियों से भून डाला। उनके शरीर को क्षत विक्षत भी किया गया।"
दानिश सिद्दीकी ने दिल्ली के जामिया मिलिया इसलामिया से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि ली थी। उन्होंने 2007 में जामिया में एजेके मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर से मास कम्युनिकेशन में डिग्री हासिल की थी।
पुलित्ज़र पुरस्कार विजेता फ़ोटो पत्रकार दानिश सिद्दीकी ने एक टेलीविजन समाचार संवाददाता के रूप में अपना करियर शुरू किया था और बाद में फोटो पत्रकारिता में चले गए।
वे फ़िलहाल अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी रॉयटर्स के लिए काम कर रहे थे।
दानिश ने13 जुलाई को ट्विटर पर अफ़ग़ान सुरक्षा बलों और तालिबान के बीच संघर्ष के बारे में ट्वीट किया था।
उन्होंने कुछ तसवीरें ट्वीट करते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए। एक में उन्होंने लिखा था, 'अफ़ग़ान के विशेष बल, इलीट लड़ाके देश भर में विभिन्न मोर्चे पर हैं। मैं इन युवकों के साथ कुछ मिशनों पर गया। यहाँ आज कंधार में क्या हुआ (तसवीर में देखिए) जब वे एक युद्ध मिशन पर पूरी रात बिताने के बाद बचाव अभियान पर थे।'
THREAD.
— Danish Siddiqui (@dansiddiqui) July 13, 2021
Afghan Special Forces, the elite fighters are on various frontlines across the country. I tagged along with these young men for some missions. Here is what happened in Kandahar today while they were on a rescue mission after spending the whole night on a combat mission. pic.twitter.com/HMTbOOtDqN
दानिश ने एक ट्वीट में लिखा था, 'जिस हम्वी में मैं अन्य विशेष बलों के साथ यात्रा कर रहा था, उसे भी कम से कम 3 आरपीजी राउंड और अन्य हथियारों से निशाना बनाया गया था। मैं भाग्यशाली था कि मैं सुरक्षित रहा और कवच प्लेट के ऊपर से टकराने वाले रॉकेटों में से एक के दृश्य को कैप्चर कर लिया।'
THREAD.
— Danish Siddiqui (@dansiddiqui) July 13, 2021
Afghan Special Forces, the elite fighters are on various frontlines across the country. I tagged along with these young men for some missions. Here is what happened in Kandahar today while they were on a rescue mission after spending the whole night on a combat mission. pic.twitter.com/HMTbOOtDqN
एक अन्य ट्वीट में उन्होंने ज़मीन पर आराम करते हुए अपनी एक तस्वीर शेयर की थी और उसके साथ ट्वीट में लिखा था- ‘15 मिनट का आराम। लगातार 15 घंटे एक के बाद एक मिशन के बाद।’
यह उनकी अंतिम तसवीर थी।
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