झारखंड के जमशेदपुर में भीड़ की पिटाई से मारे गए तबरेज़ अंसारी की मौत के मामले को क्या राज्य की पुलिस दबाने की कोशिश कर रही है? क्या वह तबरेज़ को पीटने वालों को बचा रही है?
ऐसा क्यों कहा जा रहा है? ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि पुलिस ने तबरेज़ का मोटरसाइकिल चोरी करने का कबूलनामा तो दर्ज कर लिया लेकिन भीड़ के द्वारा उसे पीटे जाने को लेकर एक लाइन भी नहीं लिखी गई है। आख़िर ऐसा कैसे हो सकता है क्योंकि तबरेज़ को भीड़ द्वारा बेरहमी से पीटे जाने का वीडियो तो सोशल मीडिया पर वायरल है।
तबरेज़ को 18 जून को पुलिस ने मोटरसाइकिल चोरी करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया था और न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। शनिवार 22 जून को तबरेज़ की मौत हो गई थी। सोमवार को पुलिस ने इस मामले में घाटकीडीह गाँव के 11 लोगों को गिरफ़्तार किया है और दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है।
सरायकेला-खरसावाँ ज़िले के एसपी कार्थिक एस. ने अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया, ‘जब हमें इस घटना के बारे में पता चला तो हमने ग्रामीणों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया। हमने शुरुआत में एक आरोपी को गिरफ़्तार किया और बाद में 10 और लोगों को इस मामले में गिरफ़्तार किया। हमें यह भी पता चला है कि खरसावाँ पुलिस स्टेशन के प्रभारी और एएसआई ने इस मामले को संवेदनशीलता के साथ नहीं देखा। उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को भी घटना की जानकारी नहीं दी।’
अंसारी के परिजनों ने पुलिस से कहा है कि वह बताए कि उसने बाइक चोरी को लेकर तबरेज़ के क़बूलनामे को तो दर्ज कर लिया लेकिन भीड़ द्वारा किए गए हमले का बयान क्यों नहीं दर्ज किया गया। तबरेज़ के इस बयान को बाद में सीजीएम की अदालत में पेश किया गया।
अख़बार के मुताबिक़, पुलिस की ओर से दर्ज की गई एफ़आईआर में भी भीड़ द्वारा हमले की बात को नहीं दर्ज किया गया है। अंसारी के ख़िलाफ़ घातकीडीह के कमल महतो की ओर से बाइक चोरी को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई थी। महतो को भी पुलिस ने तबरेज़ की पिटाई के मामले में गिरफ़्तार कर लिया है। एसपी ने कहा, ‘हमने मामले में लापरवाही बरतने के कारण दो पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। डीएसपी रैंक के एक अधिकारी की अध्यक्षता में इस मामले की जाँच के लिए एसआईटी बनाई गई है और हम सभी तथ्यों को इकट्ठा कर लेंगे। इस बात की भी संभावना है कि तबरेज़ ने अपराध कबूल करते समय कुछ न कहा हो।’
अंसारी के चाचा मक़सूद आलम ने कहा कि उन्होंने तबरेज़ से पुलिस स्टेशन के लॉक-अप में बात की थी। इस दौरान वह बहुत कमज़ोर दिख रहा था और बात भी नहीं कर पा रहा था।
'द इंडियन एक्सप्रेस' में छपी ख़बर के मुताबिक़, अंसारी के चाचा ने कहा कि वह इस बात पर विश्वास नहीं कर सकते कि तबरेज़ ने पुलिस से पिटाई के बारे में कुछ नहीं कहा होगा। उन्होंने कहा कि पुलिस जानबूझकर इस बात को दबा रही है। उन्होंने सवाल पूछा कि क्या पुलिस को यह नहीं दिख रहा था कि उसे बुरी तरह पीटा गया था। क्या डॉक्टर भी तबरेज़ की पिटाई नहीं देख सके?
पुलिस में दर्ज एक बयान में तबरेज़ की ओर से कहा गया है कि वह और उसके दो साथी नुमैर और इरफ़ान ऊँची दीवारें फाँदकर एक घर की छत पर चढ़ गए और उन्होंने मोटरसाइकिल चुरा ली। जबकि गाँव में उस मोटरसाइकिल का कोई रजिस्ट्रेशन नंबर ही नहीं था।
पुलिस के पास दर्ज बयान में तबरेज़ की ओर से कहा गया है, ‘इसके बाद वह और उसके साथी दूसरे घर की छत पर चढ़ गए और वहाँ उन्हें एक पर्स मिला जिसमें 200 रुपये थे और वह और उसके साथी चोरी की दूसरी योजना बनाने लगे लेकिन पैसे न मिलने के कारण उन्होंने चोरी का विचार छोड़ दिया। इस घर में दरवाजे की आवाज़ सुनकर एक शख़्स जाग गया और चोर-चोर चिल्लाने लगा। मेरे साथ के बाक़ी लोग कूद गए लेकिन मैं नहीं कूद सका क्योंकि मेरे पाँव में चोट लगी थी। मैंने छिपने की कोशिश की लेकिन ग्रामीणों ने मुझे पकड़ लिया।’
तबरेज़ की शिकायत करने वाले महतो की ओर से कहा गया है कि उनके आवाज़ लगाने पर गाँव के लोग जाग गए और उसे पकड़ लिया। शिकायत में कहा गया है कि गाँव से बिना रजिस्ट्रेशन नंबर की बाइक, पर्स और मोबाइल फ़ोन चोरी हुआ है। महतो ने कहा है कि हमने पुलिस को बुलाकर उसे अंसारी को सौंप दिया।
बता दें कि इस घटना के वायरल वीडियो में दिख रहा है कि तबरेज़ को पोल से बांधकर भीड़ उसकी पिटाई कर रही है और उसे ‘जय श्री राम’ और ‘जय हनुमान’ का नारा लगाने के लिए कह रही है। पुलिस ने मामले में हत्या व अन्य धाराओं के तहत मुक़दमा दर्ज किया है।
सोमवार को इस मामले में पत्रकारों से बात करते हुए आईजी ऑपरेशंस आशीष बत्रा ने कहा था कि वह इस वीडियो पर कोई कमेंट नहीं कर सकते। क्योंकि सोशल मीडिया पर धार्मिक भावनाओं को ठोस पहुँचाने वाले कई फ़र्जी वीडियो भी चल रहे हैं। लेकिन सिविल अस्पताल के रिकॉर्ड यह बताते हैं कि तबरेज़ को कम से कम तीन चोट लगी थी और उसने कमज़ोरी होने की शिकायत भी की थी।
तबरेज़ की मौत के बाद सोशल मीडिया पर लोग बेहद आक्रोशित हैं और इस घटना को अंजाम देने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग कर रहे हैं। इस मामले को लेकर झारखंड में भी सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्ष के बीच वाक युद्ध तेज़ हो गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन ने कहा है कि झारखंड में भीड़ के द्वारा किसी पर हिंसा करने की यह 13 वीं घटना है और इससे पता चलता है कि राज्य में क़ानून व्यवस्था पूरी तरह फ़ेल हो गई है।
मामले में पुलिस की ओर ऐसा जानबूझकर किया गया है या उस पर ऐसा करने का कोई दबाव है, इसकी जाँच तो की ही जानी चाहिए। और इस घटना में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ चाहे वे पुलिस अधिकारी हों या ग्रामीण, पर सख़्त कार्रवाई होनी चाहिए। इससे तबरेज़ को तो इंसाफ मिलेगा ही, आगे ऐसी घटनाओं पर भी रोक लगने की उम्मीद भी पैदा होगी।
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