यहां पर एक खास बात पर गौर करना होगा। वकील एमएल शर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 10 फरवरी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर सुनवाई करने वाला था। वकील एमएल शर्मा का याचिका में कहना है कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट से देश की छवि तार-तार हो गई है। शर्मा की मांग है कि शॉर्ट सेलिंग पर रोक लगाई जाए। यह एक फ्रॉड है। इसके जरिए मार्केट को बनावटी तौर पर गिरा दिया जाता है।
लाइव लॉ के मुताबिक वकील विशाल तिवारी ने चीफ जस्टिस की बेंच के सामने अपनी याचिका का जिक्र करते हुए एमएल शर्मा की याचिका का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि चीफ जस्टिस की बेंच 10 फरवरी को उस याचिका पर सुनवाई करेगी, इसलिए उनकी याचिका पर भी उसी के साथ सुनवाई की जाए। इस पर चीफ जस्टिस ने दोनों याचिकाओं को शुक्रवार को ही सुनने का निर्देश दे दिया।
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट क्या है
अमेरिका की जानी-मानी निवेश फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर स्टॉक बाज़ार में हेरफेर करने का एक सनसनीखेज आरोप लगाया। इसने कहा कि अडानी समूह एक स्टॉक में खुलेआम हेरफेर करने और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल था। हिंडनबर्ग रिसर्च नाम की कंपनी अमेरिका आधारित निवेश से पैसे कमाने वाली फर्म है जो एक्टिविस्ट शॉर्ट-सेलिंग में एकस्पर्ट है।फर्म की रिपोर्ट के मुताबिक अडानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी ने पिछले तीन सालों के दौरान लगभग 120 अरब अमेरिकी डॉलर का लाभ अर्जित किया है जिसमें से अडानी समूह की सात प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों के स्टॉक मूल्य की बढ़ोत्तरी से 100 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक कमाये। जिसमें पिछले तीन साल की अवधि में 819 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी हुई।
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट कैरेबियाई देशों, मॉरीशस और संयुक्त अरब अमीरात तक फैले टैक्स हैवन देशों में अडानी परिवार के नियंत्रण वाली मुखौटा कंपनियों के नेक्सस का विवरण है। जिसके बारे में दावा किया गया है कि इनका इस्तेमाल भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग और करदाताओं की चोरी को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जाता है। जबकि धन की हेराफेरी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों से की गई थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हमने अपनी रिसर्च में अडानी समूह के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनों व्यक्तियों से बात की, हजारों दस्तावेजों की जांच की और इसकी जांच के लिए लगभग आधा दर्जन देशों में जाकर साइट का दौरा किया।
फर्म का दावा है कि अगर आप हमारी जांच के निष्कर्षों को नजरअंदाज करते हैं तो भी आप अडानी समूह की वित्तीय स्थिति को जांचने के लिए समूह की सात 7 प्रमुख सूचीबद्ध कंपनियों का मूल्यांकन करें तो पाएंगे कि उसके फेस वैल्यू से 85 प्रतिशत तक कम है।
समूह की कंपनियों ने पर्याप्त कर्ज भी ले रखा है, इसमें ऋण लेने के लिए अपने बढ़े हुए स्टॉक के शेयरों को गिरवी रखना तक शामिल है। इसने पूरे समूह को अनिश्चित वित्तीय स्थिति में डाल दिया है।
हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप ने तमाम आरोपों का खंडन किया। अडानी ग्रुप ने कहा कि खतरे या चिन्ता की कोई बात नहीं है। निवेशकों के हित सुरक्षित हैं। लेकिन शेयर मार्केट में अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयर लगातार गिरते रहे। हालांकि बाद में हालात संभल गए। अडानी मुद्दे पर भारतीय संसद भी गरम है। मोदी सरकार ने अभी तक किसी भी तरह की जांच का आदेश नहीं दिया है।
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