सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों से बसों और ट्रेनों का किराया नहीं लिया जाएगा। यह किराया राज्यों को देना होगा। कोर्ट ने सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों से प्रवासी मजदूरों की संख्या और उनके लिए किए गए इंतजामों के बारे में बताने के लिए भी कहा है। शीर्ष अदालत गुरुवार को प्रवासी मजदूरों को हो रही परेशानियों के संबंध में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि वह मजदूरों की समस्याओं को लेकर चिंतित है और उन्हें उनके घरों तक पहुंचाने की कोशिश की जा रही है। अदालत ने कहा कि मजदूरों के रजिस्ट्रेशन, आने-जाने की प्रक्रिया में कई तरह की ख़ामियां सामने आई हैं।
अदालत ने कहा, ‘जो प्रवासी मजदूर जहां कहीं फंसे हैं, उन्हें संबंधित राज्य की ओर से खाना दिया जाएगा और इसके बारे में उन्हें सूचित किया जाएगा। खाना दिए जाने के बारे में उन्हें बताया जाएगा और मजदूरों को ट्रेन या बसों में चढ़ने के समय के बारे में भी बताना होगा।’
कोर्ट ने कहा, ‘राज्यों को प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पर ध्यान देना होगा और इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि रजिस्ट्रेशन के बाद वे बस या ट्रेन में चढ़ सकें।’ अदालत ने कहा कि इसकी जानकारी सभी को उपलब्ध करानी होगी। अदालत ने कहा कि जो भी प्रवासी मजदूर पैदल चल रहे हैं, उन्हें तुरंत शेल्टर्स में ले जाया जाए और खाना और सभी सुविधाएं दी जाएं।
अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रेशन के बाद भी प्रवासियों को ट्रेन और बस में चढ़ने के लिए अपनी बारी का इंतजार करना पड़ता है और बड़ी संख्या में प्रवासी अभी भी पैदल चल रहे हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि राज्य सरकारों को इस बारे में निर्देश दिए गए हैं कि वे पैदल जा रहे प्रवासियों को बस या दूसरा कोई वाहन उपलब्ध कराएं।
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