दिल्ली-एनसीआर में फैले प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक बार फिर सुनवाई की। अदालत ने कहा कि मौसम विभाग ने बताया है कि हवा एक बार फिर ख़राब होगी, ऐसे में केंद्र सरकार ने क्या क़दम उठाए हैं।
केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हवा की गुणवत्ता बेहतर होने की उम्मीद है और इसकी जल्द समीक्षा की जाएगी। सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की।
प्रदूषण को लेकर याचिका दायर करने वाले शख़्स के वकील विकास सिंह ने अदालत से कहा कि इस तरह की मीडिया रिपोर्ट है कि पंजाब में चुनाव को देखते हुए किसानों पर जुर्माना नहीं लगाया जा रहा है। इस पर अदालत ने कहा कि हम इस बारे में बहुत बारीक नज़र नहीं रख सकते।
अदालत ने कहा, “वकील, जज सभी इस बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन अफ़सर क्या कर रहे हैं। अफ़सर क्यों नहीं खेतों में जाकर किसानों, वैज्ञानिकों से बात करते और इस समस्या का स्थायी हल खोजते।”
पिछली सुनवाई में अदालत ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा था कि वे वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के द्वारा जिन क़दमों को उठाने की बात कही गई है, उन पर अमल करें।
अदालत ने कहा, “हम इस मामले में सुनवाई बंद नहीं करेंगे और निर्देश देंगे, भले ही प्रदूषण कम हो जाए। अगले तीन दिन तक प्रदूषण रोकने के क़दम उठाए जाएं।”
सीजेआई रमना ने अफ़सरों की खिंचाई करते हुए कहा था, “टीवी पर होने वाली डिबेट्स किसी और से ज़्यादा प्रदूषण फैलाती हैं। सब का अपना एजेंडा है। हम हल निकालने की कोशिश कर रहे हैं।”
स्कूल, कॉलेज बंद करने का आदेश
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से हालात इस क़दर ख़राब हो गए हैं कि स्कूल-कॉलेजों को बंद करना पड़ा है। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने कहा है कि एनसीआर में ऐसे लोग या संगठन जिन्होंने सड़कों पर निर्माण सामग्री या कचरे का ढेर लगाया हुआ है, उनके ख़िलाफ़ भारी जुर्माना लगाया जाए। साथ ही सड़कों को साफ करने वाली मशीनों को बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है।
अपनी राय बतायें