नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस क़ानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इस क़ानून को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं पर अगली सुनवाई 22 जनवरी, 2020 को होगी। इन मामलों की सुनवाई चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (सीजेआई) एसए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही है।
A Bench of Chief Justice SA Bobde, Justice BR Gavai and Justice Surya Kant refuses to stay the implementation of the Citizenship (Amendment) Act, 2019. Supreme Court says it will hear the pleas in January. pic.twitter.com/U4Up0yh7T9
— ANI (@ANI) December 18, 2019
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में 59 याचिकाएं दायर की गई हैं। इंडियन यूनियन मुसलिम लीग (आईयूएमएल), जमीअत उलेमा-ए-हिंद ने कोर्ट में याचिक दायर की है। तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी क़ानून के ख़िलाफ़ कोर्ट में याचिका दाख़िल की है।
राज्य सरकारों ने जताया विरोध
नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर विपक्षी दलों की सरकारों ने मुखर विरोध जताया है। पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल की सरकारों ने कहा है कि वे अपने-अपने राज्यों में इस क़ानून को लागू नहीं होने देंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस शासित सरकारों ने भी इस क़ानून को संविधान विरोधी क़रार दिया है।
विपक्षी राजनीतिक दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के मूल ढांचे के ख़िलाफ़ है। इन दलों का कहना है कि यह क़ानून संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है और धार्मिक भेदभाव के आधार पर तैयार किया गया है।
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