सुप्रीम कोर्ट ने केरल के सबरीमला मंदिर सहित अन्य धार्मिक स्थानों में महिलाओं से होने वाले भेदभाव के मामलों में 10 दिनों में सुनवाई को पूरा करने के लिये कहा है। चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया एस.ए. बोबडे ने मंगलवार को कहा कि सुनवाई में 10 दिन से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए। सीजेआई बोबडे ने कहा, ‘इसमें 10 दिन से ज्यादा का समय नहीं लगना चाहिए। अगर कोई इससे ज्यादा समय मांगता है, तो भी यह नहीं दिया जा सकता।’
सबरीमला मामले में 9 जजों की बेंच सुनवाई कर रही है। बेंच में आर. भानुमथि, अशोक भूषण, एल. नागेश्वर राव, बी.आर. गवई, एस.ए. नज़ीर, एम.एम.शांतनागोदार, आर. सुभाष रेड्डी और सूर्य कांत शामिल हैं। पिछली सुनवाई में सीजेआई बोबडे ने वकीलों से कहा था कि वे आपस में उन मुद्दों को तय कर लें जिन पर जिरह करनी है। इसके बाद बेंच ने सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता से वकीलों के साथ बातचीत करने के लिये कहा था। सुप्रीम कोर्ट में कुल 60 याचिकाएं दायर की गई हैं।
पिछले साल तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने महिलाओं के सबरीमला मंदिर में और मसजिदों में प्रवेश से जुड़े मुद्दों, दाऊदी बोहरा समुदाय में महिलाओं के खतना सहित विभिन्न धार्मिक मुद्दों की फिर से जाँच करने के लिए कहा था।
सबरीमला मंदिर में 10 वर्ष से लेकर 50 वर्ष तक की महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद है। मंदिर से जुड़े लोगों की मान्यता है कि इस उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश नहीं करना चाहिए। पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला दिया था कि महिलाओं के प्रवेश पर रोक नहीं लगाई जा सकती। इसके बाद मामले में पुनर्विचार याचिका लगाई गई थी। इसके बाद मामले को नौ जजों की बेंच के पास भेज दिया गया था।
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