लखीमपुर खीरी मामले के गवाह को पूरी सुरक्षा देने का निर्देश देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में ताजा हलफनामा दाखिल करने को कहा है। अदालत ने यूपी सरकार को नोटिस भी जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्रीय राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे और लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत को चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई कल भी हुई थी और आज भी जारी रही।
सुप्रीम कोर्ट कुछ किसानों के रिश्तेदारों की याचिका पर सुनवाई कर कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मिश्रा को जमानत दिए जाने के बाद एक गवाह पर हमला हुआ था। एक को धमकी दी गई।
चीफ जस्टिस एन.वी. रमना की बेंच ने यूपी सरकार को गवाहों को सुरक्षित रखने आदेश दिया और इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए कहा।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की बेंच ने यूपी सरकार के वकील से गवाह पर कथित हमले के बारे में पूछा। वकील ने जवाब दिया कि वह इस बारे में यूपी सरकार से निर्देश लेंगी। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा, यह एक खास घटना है जिसका वो उल्लेख कर रहे हैं। आप विस्तृत जवाबी हलफनामा दाखिल करें। आपको यह तय करना होगा कि वह (गवाह) सुरक्षित रहें।इस मामले में किसानों की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि जिस हाईकोर्ट (इलाहाबाद) ने आरोपी को जमानत दी, उसने जमानत देने के सिद्धांतों को गलत दिशा दी है। जबकि निचली अदालत ने उसे (आशीष मिश्रा) जमानत देने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा कि राज्य ने जमानत आदेश के खिलाफ कोई अपील तक दायर नहीं की है।
पिछले साल 3 अक्टूबर को, लखीमपुर खीरी में कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों पर गाड़ी चढ़ा दी गई थी। जिसमें चार किसान और एक पत्रकार की मौत हो गई। इसके बाद वहां हिंसा हुई जिसमें बीजेपी के दो नेता और एक वाहन के चालक की मौत हो गई थी।
आरोपी आशीष मिश्रा को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 10 फरवरी को जमानत दे दी थी। राहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि हालांकि मिश्रा पर प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए एक वाहन के चालक को उकसाने का आरोप है, लेकिन इसमें वाहन चालक और दो सह यात्रियों की भी मौत हो गई। अदालत ने तर्क दिया कि यह देखते हुए कि हजारों प्रदर्शनकारी थे, ड्राइवर ने खुद को बचाने के लिए वाहन की गति तेज कर दी होगी। इस संदर्भ में, यह भी कहा गया कि चालक और सह-यात्रियों की हत्या को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
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