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ग़ुस्से में गन्ना किसान ; पवार ने कहा,विद्रोह हो जाएगा

क्या बीजेपी सरकार के ख़िलाफ़ गन्ना किसानों का ग़ुस्सा फूटने वाला है? सिर्फ़ महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों को किसानों को 11 हज़ार करोड़ रुपये चुकाना है। इसीलिए एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने चिट्ठी लिख कर प्रधानमंत्री मोदी को ‘बड़े स्तर पर विद्रोह’ की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है कि समय पर पूरे पैसे नहीं मिलने से देश भर में छोटे और हाशिये के गन्ना किसानों में भारी असंतोष है और वे आत्महत्या करने को मजबूर हैं।

अनुमान है कि अप्रैल तक चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया बढ़कर क़रीब 20 हज़ार करोड़ तक पहुँच जाएगा। लेकिन मिलें इस हालत में नहीं हैं कि वे किसानों को पैसा दे सकें। इसलिए यह समस्या सरकार के लिए और भी गंभीर हो सकती है क्योंकि अप्रैल में लोकसभा चुनाव की तारीख़ें पड़ेंगी। 

उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में देश के 75 फ़ीसदी गन्ने का उत्पादन होता है और इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार है। इधर गन्ने की पेराई का नया सीज़न भी शुरू हो चुका है। 

sugar cane farmers angry with government sharad pawar said mass-scale revolt is imminent  - Satya Hindi

पवार की यह चिट्ठी ऐसे समय में आयी है जब विपक्षी दल मोदी सरकार पर देश भर में किसानों की दुर्दशा के लिए दबाव बना रहे हैं। हाल के विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों में बीजेपी को मिली हार के बाद तो कृषि संकट पर चर्चा ने और भी ज़ोर पकड़ लिया है। ऐसे में शरद पवार की यह चिट्ठी बीजेपी के लिए सचेत होने की ओर इशारा करती है।

‘बड़े स्तर पर विद्रोह’ की चेतावनी क्यों?

एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने प्रधानमंत्री मोदी को ‘बड़े स्तर पर विद्रोह’ की चेतावनी दी है। उन्होंने मोदी को एक पत्र लिखकर कहा है कि छोटे और हाशिये पर पड़े गन्ना किसानों में भारी निराशा और असंतोष का ज़िक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि गन्ना किसान आर्थिक निराशा में आत्महत्या करने को मजबूर है। उन्होंने ऐसे किसानों के लिए राहत देने के लिए फ़ौरन कदम उठाने को कहा है।

एनसीपी नेता शरद यादव ने लिखा, ‘शुगर मिल समय पर पूरे पैसे जारी नहीं कर पा रहे हैं। इससे देश भर में छोटे और हाशिये के किसानों में भारी निराशा और असंतोष है। इस वित्तीय हताशा के कारण किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं।’

फ़ौरन क़दम उठाने की वकालत करते हुए पवार ने सुझाव दिया है कि गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 29 रुपये प्रति किलो से बढ़ाकर 34 रुपये किया जाए ताकि उनकी लागत तो निकल आए।

उन्होंने लिखा है कि काग़ज़ी कार्यवाही में होने वाली देरी के कारण मिल 13.88 रुपये प्रति क्विंटल उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी समय पर नहीं दे पा रहे हैं।

2018 के मध्य तक 25 हज़ार करोड़ रुपये बकाये को चुकता करने में मदद के लिए सरकार ने उत्पादन से जुड़ी सब्सिडी की घोषणा की थी। यह पिछले साल के 5.5 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर इस साल यह 13.88 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है।

किसानों की कितनी बुरी हालत?

महाराष्ट्र सरकार के आँकड़े बताते हैं कि गन्ना किसानों को 7450 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था। लेकिन भुगतान सिर्फ़ 2875 करोड़ रुपये का किया गया। उत्तर प्रदेश में तो स्थिति और भी बदतर है। 2017-18 के दौरान 35463 करोड़ में से 1770 करोड़ रुपये का भुगतान नहीं हुआ है। इस सीज़न में 4 जनवरी तक 10051 करोड़ रुपये के गन्ने की ख़रीद हुई थी। इसमें से ख़रीद के 14 दिनों के भीतर 7210 करोड़ रुपये का भुगतान होना था, लेकिन भुगतान हुआ सिर्फ़ 2857 करोड़ रुपये का। यानी 4353 करोड़ रुपये का बकाया रहा। पिछले सीज़न के 1770 करोड़ रुपये का बकाया जोड़ने पर कुल बकाया 6123 करोड़ रुपये होता है।

पिछले साल 260 लाख टन की घरेलू ज़रूरतों के मुकाबले रिकॉर्ड 325 लाख टन गन्ने का उत्पादन होने से शुगर मिल मालिक और किसानों के सामने अच्छी क़ीमत नहीं मिलने की समस्या है।

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क़मर वहीद नक़वी
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