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दुती ने क्यों स्वीकार किया महिला पार्टनर से समलैंगिक रिश्ता?

क्या समलैंगिक रिश्ते को खुले तौर पर स्वीकारने वाली भारत की पहली एथलीट स्प्रिंटर दुती चंद के लिए यह आसान रहा होगा? वह भी तब जब समाज इसे एक कलंक के रूप में देखता हो। भारत जैसे रूढ़िवादी देश में यह स्वीकारना शायद सबसे मुश्किल कामों में से एक होगा। फ़िलहाल दुती को एक लड़की के साथ समलैंगि‍क रिश्‍ते रखने के ख़ुलासे के बाद परिवार से लड़ना पड़ रहा है। पहले उनकी बड़ी बहन सरस्‍वती विरोध कर रही थी और बाद में उनकी माँ ने भी कह दिया कि उनकी बेटी के समलैंगिक रिश्‍ते को स्‍वीकार करना संभव नहीं है। सार्वजनिक तौर पर इस बात को स्वीकार करने से पहले भी दुती पर काफ़ी दबाव था। उन्होंने एक हफ़्ते में दो इंटरव्यू दिये और दोनों बार उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि उनकी बहन की ओर से समलैंगिक रिश्ते को ख़त्म करने के लिए धमकी दी जा रही थी।

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बता दें कि 100 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड और एशियाई खेलों में 2 रजत पदक अपने नाम कर चुकी दुती चंद ने कुछ दिन पहले ही अपने समलैंगिक रिश्ते का खुलासा किया था और कहा था कि वह अपने गृहनगर चाका गोपालपुर (ओडिशा) में एक लड़की के साथ रिश्ते में हैं। हालाँकि, दुती ने अपनी पार्टनर के बारे में बताने से इनकार किया और कहा कि वह नहीं चाहतीं कि उनकी पार्टनर फिजूल में लोगों की नज़रों में आए। दुती ने अब ‘संडे एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में अपनी पूरी कहानी बयां की कि कैसे उनके रिश्ते बने और सामाजिक रूढ़ियों के ख़िलाफ़ वह लड़ती रहीं।

समाज की रूढ़िवादिता की परवाह किये बिना न सिर्फ़ उन्होंने समलैंगिक रिश्ता जारी रखने का फ़ैसला किया, बल्कि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर अपने इस रिश्ते को स्वीकार भी किया।

यह फ़ैसला करना उनके लिए इसलिए भी काफ़ी मुश्किल रहा होगा क्योंकि इसके कई ख़तरे हैं। कई जगह ऐसे लोग समलैंगिक भेदभाव से सुरक्षित नहीं हैं। एक समलैंगिक व्यक्ति को केवल इसलिए नौकरी से निकाले जाने का ख़तरा रहता है क्योंकि वह समलैंगिक है, भले ही वह कितना अच्छा कर्मचारी क्यों न हो। समलैंगिकों को मकान किराए पर लेने में दिक्कतें आती हैं या सार्वजनिक जगहों पर हेय दृष्टि से देखा जाता है।

परिवार से ही लड़ाई लड़ रही हैं दुती

यही कारण है कि समलैंगि‍क रिश्‍ते रखने के ख़ुलासे के बाद परिवार से लड़ना पड़ रहा है। दुती की माँ अखूजी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया था कि दुती जिस लड़की से शादी करना चाहती है वह लड़की मेरी भाँजी की बेटी है इसलिए वह मेरी पोती हुई। ऐसे में दुती उस लड़की के लिए माँ जैसी हुई। उस रिश्‍ते को कैसे स्‍वीकारा जा सकता है। अखूजी ने बताया, 'मैंने दुती को बताया कि मैं इसे स्‍वीकार नहीं कर सकती तो उसने मुझे कह दिया कि कोर्ट आदेश दे चुका है और सभी मेंटर उसका साथ दे रहे हैं।'

आरोप, बड़ी बहन ने जेल भेजने की दी धमकी

मीडिया से बातचीत में दुती ने हाल ही में आरोप लगाया था, 'मेरी बड़ी बहन की मेरे परिवार में काफ़ी चलती है। उसे मेरे बड़े भाई की बीवी पसंद नहीं थी तो उसने उसे घर से बाहर निकाल दिया था। उसने मुझे धमकी दी है कि वैसा ही मेरे साथ भी होगा। लेकिन मैं बालिग हूँ और मैं आजाद हूँ। इसलिए मैंने इस रिश्‍ते को जारी रखने और सार्वजनिक करने का फ़ैसला किया। मेरी बड़ी बहन को लगता है कि मेरी पार्टनर संपत्ति हड़पना चाहती है। उसने मुझसे कहा कि इस रिश्‍ते के लिए वह मुझे जेल भेजेगी।'

हालाँकि इन विरोधों के बावजूद दुती को इसमें कुछ लोगों का साथ भी मिला। ‘संडे एक्सप्रेस’ को दिए साक्षात्कार में दुती ने कहा कि इन परिस्थितियों ने उनके ट्रैक पर प्रदर्शन और उनके करियर को प्रभावित किया। लेकिन उनके कोच एन. रमेश और कुछ एथलीट साथियों ने उनका साथ दिया। वह आगे कहती हैं कि ‘मैं विचलित हो गई थी। मेरे कोच रमेश मेरे लिए पिता की तरह हैं। मैंने अपने कोच को ब्लैकमेलिंग के बारे में बताया। सर ने मुझे चिंता न करने के लिए कहा।'

इसके बाद वैश्विक समलैंगिक अधिकार की पैरवी करने वाले एक आइकन एलेन डेगनेस ने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘वह 100 मीटर की रिकॉर्ड धारक और भारत की पहली खुले तौर पर स्वीकार करने वाली समलैंगिक खिलाड़ी हैं। मुझे लगता है कि वह नंबर वन बनने के लिए एक या दो बातें जानती हैं। मुझे उन पर गर्व है।’

साक्षात्कार में ‘संडे एक्सप्रेस’ से 23 वर्षीय दुती चंद ने अपनी पुरानी लव स्टोरी के बारे में भी बात की। दुती चंद को अपने पार्टनर से मिले एक ख़ास व्हाट्सएप मैसेज को याद कर कहती हैं, ‘मैं हैदराबाद में थी। उसने मुझे एक व्हाट्सएप संदेश भेजा जिसमें लिखा था कि दिल की बात है, जिसके बारे में मैं आपको बताना चाहती हूँ। मैंने उससे पूछा कि यह क्या है, और उसने कहा कि वह मुझसे प्यार करती है। फिर उसने उसने वेलेंटाइन-डे के दिन मुझे प्रपोज किया।’

दुती ने कहा कि दोनों 2017 के अंत में ही क़रीब आ गए थे, जब वह कलाई की चोट से जूझ रही थीं। दुती हैदराबाद में अपने प्रशिक्षण केंद्र से भुवनेश्वर चली गई थी। उनकी पार्टनर भी अपने गाँव चाका गोपालपुर से भुवनेश्वर चली गईं ताकि वह घर के कामों के साथ स्टार एथलीट की मदद कर सकें।
दुती ने अख़बार से कहा कि इसी दौरान अपनी पार्टनर के लिए उनके दिल में कुछ-कुछ होने लगा था, लेकिन पहले वह प्यार का इज़हार नहीं करना चाहती थीं। उन्होंने कहा, ‘पिछले साल एशियाई खेलों से पहले उसने मेरे लिए पूजा की थी। तभी मैं उसे बहुत पसंद करने लगा था। लेकिन वह मेरे बारे में क्या सोचती थी, इसके बारे में मुझे निश्चित तौर पर कुछ पता नहीं था। इसके अलावा, मैं पहला कदम नहीं उठाना चाहती थी क्योंकि मैं एक स्टार और एक सेलिब्रिटी हूँ और अगर मैं उससे कहती कि मैं उससे प्यार करती हूँ, तो उस पर ‘हाँ’ कहने का दबाव होता। मैं उसके लिए अपने प्यार का इज़हार करने का इंतज़ार कर रही थी।

एक लड़के के साथ भी रहा था रिश्ता

दुती ने एक लड़के के साथ पिछले रिश्ते के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि वह लड़का जिसके साथ वह पाँच साल से रिश्ते में थीं, 2014 में वह उससे दूर चला गया। उन्होंने कहा कि ब्रेक-अप से निपटने के लिए उन्होंने संघर्ष किया था।

दुत्ती चंद ने कहा, ‘ जब मैं आठवीं क्लास में की थी तो एक लड़के ने मुझे प्रपोज किया था, उस दौरान मैं स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहा करती थी। साल 2009 में उस लड़के ने मेरे साथ रिलेशनशिप रखने की इच्छा जताई। मुझे भी वह लड़का पसंद था और यहाँ से हमारी लव स्टोरी की शुरुआत हुई। क़रीब पाँच साल तक साथ रहने के बाद 2014 में हमारा ब्रेकअप हो गया। इसकी सबसे बड़ी वजह टेस्टोस्टेरोन नियम की वजह से मेरा बैन होना रहा। लोग मुझे कहने लगे की वह एक लड़का है लड़की नहीं है। इसने हमारे रिश्ते को प्रभावित किया। धीरे-धीरे वह मुझसे बचने लगा। मुझे आख़िरकार मैसेज मिल गया। उस समय से मैं बहुत अकेली थी।’

दुती चंद ने आगे कहा कि इसके बाद मेरे गाँव की 19 साल की लड़की जो कि मेरी रिश्तेदार है, मेरा आकर्षण उसकी तरफ़ हुआ।

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जेंडर विवाद के कारण लगा था प्रतिबंध 

दुती पर 2014 ग्लास्गो राष्ट्रमंडल खेलों से पहले जेंडर विवाद के कारण एक साल का प्रतिबंध लगा था। वह टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले सकी थीं। दुती का टेस्टोस्टोरेन (हार्मोन) बढ़ जाता था, इससे उन पर पुरुष होने के आरोप लगे थे। उनकी अपील पर लुसान (स्विट्जरलैंड) स्थित खेल मध्यस्थता अदालत ने इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फ़ेडरेशन (आईएएएफ़) के फ़ैसले को पलट दिया था। इसके बाद दुती 2016 रियो ओलिंपिक में हिस्सा ले सकी थीं।

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क़मर वहीद नक़वी
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