तृणमूल कांग्रेस ने 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव में कांग्रेस के के. सुरेश का समर्थन करने का फैसला किया है। ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी ने मंगलवार को कहा था कि के सुरेश को एनडीए के उम्मीदवार ओम बिड़ला के खिलाफ मैदान में उतारने से पहले उससे सलाह नहीं ली गई थी और फैसले को "एकतरफा" करार दिया था।
लेकिन कांग्रेस के राहुल गांधी ने मामले को पलट दिया। राहुल गांधी ने टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी के साथ मंगलवार देर शाम 20 मिनट तक टेलीफोन पर बातचीत की। उसके बाद ममता ने हरी झंडी दिखा दी और कहा कि बुधवार 9.30 बजे बैठक में हम फैसले का ऐलान कर देंगे। बुधवार को ऐसा ही हुआ। बैठक की औपचारिकता के बाद टीएमसी ने विपक्ष के प्रत्याशी के. सुरेश के समर्थन का ऐलान कर दिया।
टीएमसी का समर्थन महत्वपूर्ण है। उसके पास लोकसभा में 29 सीटें हैं। क्योंकि अगर टीएमसी विपक्ष के प्रत्याशी का समर्थन नहीं करती तो भाजपा के पास विपक्ष का चिढ़ाने का अवसर मिलने जा रहा था। लेकिन अब राहुल और ममता के रुख से इंडिया की एकजुटता फिर से सामने आई है। मंगलवार की बैठक में, जिसमें टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन और कल्याण बनर्जी ने भाग लिया था, ने कहा था कि हमें विश्वास में लिया जाए, ऐसे मुद्दों पर बेहतर समन्वय के लिए सहमति भी बननी चाहिए।
के. सुरेश ने मंगलवार को जैसे ही नामांकन किया, फौरन ही टीएमसी का बयान आया कि उनसे इस मामले में कोई राय नहीं ली गई है। हालांकि कांग्रेस ने इसका खंडन किया और बताया कि टीएमसी से भी सलाह ली गई थी। मंगलवार सुबह राहुल गांधी ने खुद ममता को पहला फोन किया था। लेकिन इस घटनाक्रम से दिल्ली में टीएमसी के सांसद अवगत नहीं थे और बयान दे रहे थे कि उनसे सलाह नहीं ली गई। इसके बाद राहुल ने फिर से शाम को ममता से बात की, तब उन्होंने पॉजिटिव रुख दिखाया।
हालांकि सूत्रों ने बताया कि एनडीए ने भी ममता से संपर्क किया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार दोपहर को ममता को फोन किया। एक टीएमसी नेता ने कहा, “दोनों ने स्पीकर के मुद्दे और विपक्ष द्वारा भाजपा के उम्मीदवार के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करने के बारे में बात की थी।” लेकिन राहुल ने टीएमसी को स्टैंड बदलने के लिए मना लिया।
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