समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता अखिलेश यादव ने महिलाओं के विवाह की न्यूनतम उम्र के मुद्दे पर अपने ही दल के कुछ सांसदों के बयानों से पार्टी को अलग कर लिया है। उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी पार्टी का आधिकारिक रुख स्पस्ट करते हुए कहा है कि सपा एक प्रगतिशील पार्टी है और इसने महिलाओं के उत्थान के लिए कई कार्यक्रम लागू किए हैं।
ऐसे समय जब महिलाओं के विवाह की उम्र पर विवाद शुरू हो चुका है और सपा ही नहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलिमीन (एआईएमआईएम) तक के नेताओं ने विवादास्पद बयान दे दिए हैं, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनाव के पहले अपनी पार्टी की एक प्रगतिशील छवि पेश करने की कोशिश की है।
उन्होंने शुक्रवार को कहा,
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समाजवादी पार्टी को ऐसे बयानों से कोई मतलब नहीं है। समाजवादी पार्टी एक प्रगतिशील राजनीतिक दल है और इसने महिलाओं व लड़कियों के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
अखिलेश यादव, नेता, समाजवादी पार्टी
क्या है मामला?
बता दें कि बीजेपी की केंद्र सरकार जल्द ही एक विधेयक पेश कर सकती है, जिसमें लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल से बढ़ा कर 21 साल करने के प्रावधान होंगे।
अखिलेश यादव से पहले सपा की राज्यसभा सदस्य व अभिनेत्री जया बच्चन ने इस मुद्दे पर बीजेपी सरकार का समर्थन करते हुए कहा था कि 'यह एक अच्छा फ़ैसला है, इससे लड़कियों को पढ़ने और रोज़गार करने के अधिक मौके मिलेंगे।'
लेकिन समाजवादी पार्टी के ही दूसरे कई नेताओं की राय इसके उलट है, वे लड़कियों के विवाह की उम्र बढ़ाने के ख़िलाफ़ हैं।
कौन कर रहा है विरोध?
सपा सांसद शफ़ीकउर रहमान बर्क ने कहा कि 'भारत एक ग़रीब देश है और लोग अपनी बेटियों की शादी जल्द कर देना चाहते हैं।'
उन्होंने कम उम्र में शादी के पक्ष में तर्क देते हुए कहा था कि 'लड़कियों की पढ़ाई पिता के घर में भी हो सकती है और ससुराल में भी हो सकती है।'
#WATCH | Girls should be married when they attain age of fertility. There is nothing wrong if a mature girl is married at 16. If she can vote at age of 18, why can't she marry?: Samajwadi Party MP ST Hasan on Govt's decision to raise legal age of marriage for women to 21 years pic.twitter.com/UZxHrMcjrh
— ANI (@ANI) December 17, 2021
शफ़ीकउर रहमान बर्क ने खुले आम कहा था कि वे संसद में इस विधेयक का विरोध करेंगे।
सपा सांसद सैयद तुफैल हुसैन ने तो यहाँ तक कह दिया कि 'बच्चा जनने की उम्र होते ही लड़कियों की शादी कर दी जानी चाहिए।' उन्होंने कहा,
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यदि किसी बालिग लड़की की 16 साल की उम्र में शादी की जाती है तो इसमें कुछ ग़लत नहीं है। यदि वह 18 साल की उम्र में वोट दे सकती है तो विवाह क्यों नहीं कर सकती?
सैयद तुफैल हसन, सांसद, समाजवादी पार्टी
क्या कहा ओवैसी ने?
एआईएमआईएम के नेता असदउद्दीन ओवैसी का भी यही तर्क है। उन्होंने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ा कर 21 करने के प्रस्ताव को 'हास्यास्पद' करार दिया। उन्होंने कहा कि 'यदि 18 साल की लड़की वोट देकर प्रधानमंत्री चुन सकती है, सेक्स के लिए सहमति दे सकती है और लिव इन पार्टनरशिप में रह सकती है तो अपना जीवन साथी क्यों नहीं चुन सकती है?'
This is a very good example of paternalism of the Modi govt. At the age of 18, an Indian citizen can sign contracts, start businesses, choose Prime Ministers & elect MPs & MLAs. I'm of the opinion that the 21 age limit for boys should be reduced to 18: AIMIM MP Asaduddin Owaisi pic.twitter.com/1fu1DlLZdx
— ANI (@ANI) December 17, 2021
उन्होंने इससे जुड़े क़ानून बनाने का विरोध यह कह किया है कि बाल विवाह रोकने के लिए क़ानून होने के बावजूद इससे जुड़े सिर्फ 785 मामले ही दर्ज किए गए जबकि एक चौथाई लड़कियों का विवाह 18 साल से पहले ही हो गया था।
उन्होंने मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यदि वह लड़कियों के उत्थान के लिए गंभीर होती तो उनकी पढ़ाई लिखाई पर ज़्यादा देती।
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