राहुल गाँधी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद जब इस्तीफ़ा दिया था तो उन्होंने कहा था कि अगला अध्यक्ष गाँधी परिवार से नहीं होगा, लेकिन फिर से सोनिया गाँधी को कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष चुन लिया गया है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गाँधी के अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफ़ा भी स्वीकार कर लिया गया। कांग्रेस महासचिव ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कार्यसमिति की बैठक के बाद इसकी घोषणा की। नया अध्यक्ष चुने जाने तक सोनिया इस पद पर बनी रहेंगी।
राहुल के 'नया अध्यक्ष गाँधी परिवार से नहीं' पर ज़ोर देने के बाद लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष पद के नाम पर संशय बना रहा। इस बात को लेकर यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी और राहुल गाँधी ने पार्टी अध्यक्ष के नाम पर सहमति बनाने की प्रक्रिया से भी ख़ुद को हटा लिया था। इसी के तहत शनिवार को दोनों नेता कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में आए तो लेकिन तुरंत ही बैठक को छोड़कर चले गए। सोनिया ने कहा कि वह और राहुल कांग्रेस अध्यक्ष चुनने के लिए सहमति बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे। इससे पहले भी वह बार-बार ज़ोर देते रहे थे कि अध्यक्ष गाँधी परिवार से नहीं होगा।
तीन प्रस्ताव
बहरहाल, कार्यसमिति की बैठक के बाद कांग्रेस नेता के. सी. वेणुगोपाल ने कहा कि बैठक में 3 प्रस्ताव पारित किए गए। पहले प्रस्ताव में राहुल गाँधी को धन्यवाद दिया गया और उनके पार्टी अध्यक्ष के रूप में किए गए कामों की सराहना की गई। प्रस्ताव में कहा गया कि राहुल ने भय और अनिश्चितता के ख़िलाफ़ संघर्ष किया, वह दलितों, ग़रीबों, वंचितों के लिए उम्मीद की एक नई किरण बन कर उभरे।
प्रस्ताव में राहुल की यह कह कर तारीफ़ की कि उन्होंने हार की ज़िम्मेदारी स्वीकार कर हिम्मत दिखाई और नेतृत्व के नए मानदंड स्थापित किए। कार्यसमिति ने एक बार फिर राहुल से आग्रह किया कि वह अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफ़ा वापस ले लें। पर राहुल ने यह कह इसे खारिज कर दिया कि ज़िम्मेदारी उन्हीं से शुरू होनी चाहिए।
पार्टी प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के फ़ैसले को राहुल का निजी निर्णय माना गया और माना गया कि इसके लिए हिम्मत की ज़रूरत थी। दूसरे प्रस्ताव में सोनिया गाँधी से आग्रह किया गया कि वह अंतरिम अध्यक्ष का पद संभाल लें। सोनिया गाँधी ने इस आग्रह को स्वीकार कर लिया।
जम्मू-कश्मीर पर चिंता
कांग्रेस कार्यसमिति ने सरकार से आग्रह किया कि वह पारदर्शी तरीक़े से काम करते हुए सभी राजनीतिक दलों के एक प्रतिनिधिमंडल को जम्मू-कश्मीर जाने दें। इस प्रस्ताव में इस बात पर चिंता जताई कि अख़बारों में ख़बर है कि राज्य में बड़े पैमाने पर धर-पकड़ की जा रही है और लोगों में डर है। सरकार से यह भी माँग की गई कि राज्य में स्थिति जल्द से जल्द सामान्य की जाए। सुरजेवाला ने यह भी कहा कि कार्यसमिति का मानना है कि देश गंभीर संकट से गुजर रहा है। ऐसे में पार्टी को मज़बूती देने के लिए सोनिया गाँधी से ही कहा जाए क्योंकि वह पहले भी नेतृत्व दे चुकी हैं, वह संकट की इस घड़ी में पार्टी को सही दिशा देंगी।
सोनिया गाँधी ने 1997 में विधिवत कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ली, कुछ ही दिन बाद ही वह अध्यक्ष चुनी गईं।
बता दें कि राहुल गाँधी पहले ही कह चुके थे कि वे नया अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं होंगे। उनकी दूसर शर्त थी कि नए अध्यक्ष के लिए सोनिया गाँधी और प्रियंका गाँधी के नाम पर भी चर्चा नहीं होनी चाहिए।
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