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"इतने साल हो गए हैं, अब इस मुद्दे को क्यों उठाना है।"
-चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, सुप्रीम कोर्ट 25 नवंबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ
लाइव लॉ के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि प्रस्तावना को अपनाने की तारीख प्रस्तावना में संशोधन करने की संसद की शक्ति को प्रतिबंधित नहीं करती है। इस आधार पर तमाम तर्क को खारिज कर दिया गया। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इतने सालों के बाद प्रक्रिया को रद्द नहीं किया जा सकता है। फैसले में यह भी बताया गया है कि 'समाजवाद' और 'धर्मनिरपेक्षता' का क्या मतलब है। इस फैसले के अपलोड होने के बाद अधिक जानकारी मिलेगी।
इससे संबंधित याचिकाएं बलराम सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थीं।
पिछली सुनवाई पर, याचिकाकर्ताओं में से एक के लिए वकील विष्णु शंकर जैन ने संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) पर हाल ही में 9-न्यायाधीशों की पीठ के फैसले पर भरोसा जताया, जिसमें तत्कालीन सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व में बहुमत ने असहमति जताई थी। जस्टिस कृष्णा अय्यर और चिन्नप्पा रेड्डी ने समाजवादी शब्द की व्याख्याएँ दी थीं। जिससे याचिकाकर्ता सहमत नहीं थे। इसका जवाब चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने इन शब्दों में दियाः
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भारतीय अर्थ में "समाजवादी होने" का अर्थ केवल "कल्याणकारी राज्य" है।
-चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, सुप्रीम कोर्ट 25 नवंबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ
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