किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की एक अहम बैठक सोनीपत-कुंडली बॉर्डर पर हो रही है। इसमें तमाम बड़े किसान नेता भाग ले रहे हैं। जब से मोदी सरकार ने कृषि क़ानून वापस लिए हैं, तब से यह कहा जा रहा है कि किसान आंदोलन ख़त्म हो सकता है। लेकिन किसानों ने अपनी छह और मांगों को सरकार के सामने रखा है और हुंकार भरी है कि इनके पूरा हुए बिना वे आंदोलन ख़त्म नहीं करेंगे।
केंद्र सरकार ने पंजाब के कुछ किसान नेताओं से एमएसपी के लिए कमेटी बनाने के लिए पांच सदस्यों के नाम मांगे हैं। किसान नेताओं का कहना है कि इन नामों को लेकर भी कोई फ़ैसला इस बैठक में हो सकता है।
किसानों की छह मांगें
कृषि क़ानूनों की वापसी के बाद किसान नेता चाहते हैं कि उनकी बाक़ी मांगों पर भी सरकार फ़ैसला करे। किसानों की छह मांग हैं, इनमें एमएसपी को लेकर गारंटी क़ानून बनाना और आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लेना अहम है।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले किसान नेता राकेश टिकैत का साफ कहना है कि एमएसपी पर गारंटी क़ानून और किसानों पर दर्ज मुक़दमे वापस लिए बिना आंदोलन ख़त्म नहीं होगा।
किसानों की बाक़ी मांगों में बिजली संशोधन विधेयक को वापस लेना, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना और आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों को मुआवज़ा देना भी शामिल है।
मुआवज़ा दे केंद्र: राहुल
केंद्र सरकार की ओर से यह कहे जाने पर कि उसके पास किसान आंदोलन में मारे गए किसानों का कोई आंकड़ा नहीं है, इसलिए वह मुआवज़ा नहीं दे सकती, इस पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को हमला बोला था।
राहुल ने कहा था कि प्रधानमंत्री एक ओर माफ़ी मांगने की बात कहते हैं और दूसरी ओर वे मारे गए लोगों के बारे में कहते हैं कि वे हैं ही नहीं। उन्होंने कहा कि आंदोलन में मारे गए किसानों की सूची पंजाब सरकार के पास है, हम इसे केंद्र सरकार को दे सकते हैं और प्रधानमंत्री चाहें तो इनके परिजनों को फ़ोन भी कर सकते हैं।
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