प्रधानमंत्री मोदी के कथित नफ़रती भाषण की संयुक्त किसान मोर्चे ने भी आलोचना की है। इसने कहा है कि इस तरह के भाषण के लिए कार्रवाई होनी चाहिए। एसकेएम ने एक विशेष समुदाय के खिलाफ 'बेहद नफरती भाषण' देकर राष्ट्रीय एकता से जुड़े कानूनों का उल्लंघन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ केस करने और उन पर चुनाव लड़ने पर छह साल के लिए प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
एसकेएम ने यह भी कहा है कि उन्हें तत्काल प्रभाव से प्रधानमंत्री पद से हटाया जाना चाहिए और ऐसा नहीं होने पर संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ेगा। इसने एक बयान जारी कहा है, 'नरेंद्र मोदी के भड़काऊ भाषण का उद्देश्य सामाजिक माहौल को ख़राब करना और समुदायों के बीच खून-खराबा करना है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट को स्वत: संज्ञान लेना चाहिए और हस्तक्षेप करना चाहिए।'
एसकेएम के मीडिया सेल की ओर से कहा गया कि इस संबंध में मंलगवार को बैठक हुई और इसमें किसानों से जुड़े 12 संगठन शामिल हुए। बैठक में दर्शनपाल सिंह, उदयभान, जोगिंदर सिंह उगराहां जैसे किसान नेता शामिल हुए। बैठक के बाद एक बयान जारी किया गया।
बयान में कहा गया, "20 अप्रैल 2024 को राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री का बेहद उत्तेजक भाषण कानून के शासन के प्रति उनके पूरी तरह अनादर और हमारे देश के बहुलवादी सामाजिक ताने-बाने के प्रति घोर असंवेदनशीलता को दिखाता है। प्रधानमंत्री ने देश के मुख्य अल्पसंख्यक समूह के सभी सदस्यों पर बिना किसी तथ्य के 'घुसपैठिए' के रूप में आरोप लगाया है, यह उन्माद के अलावा और कुछ नहीं है जो उस धर्मनिरपेक्ष संविधान के ख़िलाफ़ है जो शासन में राज्य और धर्म को अलग करता है।"
राजस्थान के बाँसवाड़ा में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस लोगों की मेहनत की कमाई घुसपैठियों को देने की योजना बना रही है।
पीएम मोदी ने रविवार को चुनावी रैली में कहा था, 'उन्होंने (कांग्रेस ने) कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। इसका मतलब, ये संपत्ति इकट्ठी कर किसको बाँटेंगे? जिनके ज़्यादा बच्चे हैं उनको बाँटेंगे। घुसपैठिए को बाँटेंगे। ...ये कांग्रेस का मैनिफेस्टो कह रहा है... कि माताओं-बहनों के सोने का हिसाब करेंगे। ...जानकारी लेंगे और फिर संपत्ति को बाँट देंगे। और उनको बाँटेंगे जिनको मनमोहन सिंह जी की सरकार ने कहा था कि संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है। ये अर्बन नक्सल की सोच, मेरी माताओ, बहनो, ये आपका मंगलसूत्र भी बचने नहीं देंगे।'
बहरहाल, एसकेएम के बयान में आगे कहा गया है, 'कांग्रेस पर लोगों की संपत्ति को जब्त कर एक विशेष समुदाय को देने का आरोप वास्तव में मोदी सरकार के पिछले दस वर्षों के तहत संपत्ति में असमानता से लोगों का ध्यान हटाने के लिए है।' एसकेएम ने ऑक्सफैम की ताज़ा रिपोर्ट का हवाला दिया है और कहा है कि इससे पता चला है कि आबादी का शीर्ष 1% हिस्सा जो पूरे अरबपतियों का प्रतिनिधित्व करता है, देश की 40.5% संपत्ति का मालिक है, जबकि नीचे की 50% आबादी या 70 करोड़ लोग जो गरीब, ग्रामीण श्रमिकों और मध्यम किसानों का प्रतिनिधित्व करते हैं और उनके पास देश की संपत्ति का केवल 3% हिस्सा है।
इसने कहा है, 'इन गरीब वर्गों के बीच कोई हिंदू या मुस्लिम विभाजन नहीं है। मोदी सरकार ने पिछले दस वर्षों के दौरान कॉर्पोरेट टैक्स को 30% से घटाकर 22% -16% के बीच कर दिया है। मुकेश अंबानी के कॉर्पोरेट समूहों में से एक रिलायंस ने अपनी संपत्ति 2014 में 1,67,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2023 में 8,03,000 करोड़ रुपये कर ली है।
किसानों के संयुक्त मोर्चे ने कहा है, 'मोदी सरकार द्वारा 2014-2022 के दौरान कॉर्पोरेट घरानों के 14.55 लाख करोड़ रुपये के ऋण बकाया राइट ऑफ यानी एनपीए किया गया है, जबकि किसानों और कृषि श्रमिकों को ऋण राहत का एक रुपया भी नहीं दिया गया। मोदी राज में भारत में प्रतिदिन 154 आत्महत्याएं हो रही हैं।'
एसकेएम ने मौजूदा हालात को एक असाधारण स्थिति बताया है। एसकेएम ने लोगों से अपील की है कि वे राष्ट्रीय एकता और आपसी भाईचारे के लिए हानिकारक निहित स्वार्थों द्वारा किसी भी प्रकार के उकसावे के खिलाफ सामाजिक शांति बनाए रखने के लिए सावधानी बरतें। इसने कहा है कि केवल जनता ही सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति को हरा सकती है और भारत के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने की रक्षा के लिए मजबूती से खड़ी हो सकती है।
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