वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि तमाम वित्तीय लेनदेन करने के लिए एक सामान्य केवाईसी (अपने ग्राहक को जानिए) प्रक्रिया को लागू करने की दिशा में सरकार काम कर रही हैं। वित्त मंत्री ने उद्योगपतियों की संस्था फिक्की के एक कार्यक्रम में यह बात मंगलवार को कही थी।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि फाइनैंस का भविष्य वीयूसीए VUCA (volatile, uncertain, complex and ambiguous यानी अस्थिर, अनिश्चित, जटिल और अस्पष्ट) होने जा रहा है। भारत में, बैंकिंग और अन्य संबंधित सेवाओं में डिजिटलीकरण भविष्य में बहुत ज्यादा होता जाएगा, ऐसे में हेराफेरी रोकने के लिए उपायों पर सोचना होगा।
ताजा ख़बरें
जनता के लिए इसका मतलबअभी तमाम लोगों को एक से अधिक बैंकों, पोस्ट ऑफिस, इंश्योरेंस वगैरह खरीदते हैं तो हर जगह केवाईसी कराना पड़ता है। उद्योगपतियों को भी तमाम वित्तीय संस्थाओं में अलग-अलग केवाईसी सूचनाएं देना पड़ती हैं। सिंगल केवाईसी होने पर हर जगह फिर से केवाईसी नहीं कराना पड़ेगा। इससे भागदौड़, कागजों के इस्तेमाल में कमी आएगी। सरकार की साइबर सुरक्षा में पूरा डेटा होगा। उद्योगपतियों को इसमें यह फायदा होगा कि अगर उनकी अलग-अलग कंपनियां हैं तो उन्हें हर बार अपने वेंडर और ग्राहक का केवीईसी नहीं करना पड़ेगा। सबसे बड़ी बात यह होगी कि वित्तीय लेनदेन में हेराफेरी की गुंजाइश कम होगी।
फाइनेंशियल एक्सप्रेस की खबर में बताया गया है कि सीतारमण ने फिक्की के कार्यक्रम में कहा: “ अभी एक सेंटर है जो सेंट्रल केवाईसी का ख्याल रखता है। सरकार इस तरह से भी काम कर रही है कि एक बार जब आप अपना केवाईसी दे देते हैं, तो यह आपकी विभिन्न जरूरतों के लिए विभिन्न संस्थानों में अलग-अलग समय पर लागू हो सकता है। और हो सकता है कि आपको हर बार ऐसा न करना पड़े, भले ही आपके कारोबार थोड़ा अलग हों।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक वित्त मंत्रालय के फाइनेंशियल स्टैबिल्टी एंड डेवलेपमेंट काउंसिल (एफएसडीसी) की सोमवार को मुंबई में इस संबंध में बैठक हुई थी। इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री मौजूद थीं। एफएसडीसी के सदस्यों में आरबीआई, सेबी, इरडा, पीएफआरडीए और इंटरनेशनल फाइनेंशियल सर्विसेज अथॉरिटी और वित्त मंत्रालय के टॉप अफसर शामिल हैं।
केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद 2014 से ही सिंगल केवाईसी पर बात चल रही थी। 2017 से सरकार ने एक सेंट्रल केवाईसी सिस्टम बनाया। जिसका डेटा सरकारी वित्तीय संस्थाओं से शेयर किया जा रहा है। म्युचुअल फंड में सेंट्रल केवाईसी सिस्टम लागू हो चुका है। यानी अगर कोई एक फंड खरीदता है तो उसका केवाईसी एक बार होगा। इसके बाद अगर वो बार-बार म्युचुअल फंड खरीद रहा है तो हर बार केवाईसी की जरूरत नहीं पड़ती है।
देश से और खबरें
बहरहाल, सिंगल केवाईसी पर अभी तमाम और भी बातें साफ होना बाकी हैं। मसलन अगर म्युचुअल फंड में इसे लागू कर दिया गया है तो बाकी जगहों पर लागू करने में किस तरह की दिक्कत आ रही है। तमाम वित्तीय संस्थाओं को इस काम के लिए बैकएंड टीम रखना पड़ती है। अब जब यह सिस्टम सिंगल में बदलेगा तो उसे अपनी बैकएंड टीम से छुटकारा मिलेगा। ऐसे में केवाईसी की वजह से अगर कोई वित्तीय गड़बड़ी पकड़ी जाती है तो उसका जिम्मेदार कौन होगा, क्या सरकार जिम्मेदारी लेगी या तब भी संबंधित संस्था को ही जिम्मेदार माना जाएगा।
अपनी राय बतायें