एनडीटीवी के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने 16 अप्रैल की शाम पुलिस स्टेशन जहांगीरपुरी क्षेत्र में बिना अनुमति शोभा यात्रा निकालने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल दिल्ली प्रांत के आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज किया। वीएचपी के नेता प्रेम शर्मा को पूछताछ के लिए तलब किया है।
पुलिस ने कहा कि हनुमान जयंती वाले दिन तीन जुलूस निकाले गए थे और पुलिस ने पहले दो को अनुमति दी थी। तीसरे जुलूस के दौरान हिंसा हुई, उस जुलूस की कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
पुलिस ने कहा कि जैसे ही जुलूस एक मस्जिद से गुजरा, धार्मिक मंत्रों की तेज आवाज अजान और नमाज पढ़ने वालों के साथ टकरा गई। जुलूस के सदस्य और मस्जिद में नमाज अदा करने वाले दो समूहों के बीच बहस के दौरान स्थिति बिगड़ गई।
ताजा ख़बरें
इलाके के मुसलमानों ने दावा किया है कि जो लोग हनुमान जयंती के जुलूस में शामिल थे, उन्होंने हथियार लेकर मस्जिद में घुसने और तोड़फोड़ करने की कोशिश की। जुलूस में भाग लेने वालों ने स्वीकार किया कि उनके पास हथियार थे, लेकिन उन्होंने मुसलमानों पर हिंसा का आरोप लगाया, जिन्होंने कहा, उन्होंने उन पर पत्थर फेंके। हालांकि मुसलमानों की ओर से मीडिया को जो वीडियो सौंपे गए, उसमें साफ दिख रहा है कि मस्जिद के पास भगवा ड्रेस में युवकों का समूह पिस्तौल, तलवारें, चाकू और डंडे लहरा रहा है। उस वीडियो में मुसलमानों की ओर से कोई विरोध नहीं किया जा रहा है।सत्य हिन्दी ने आज यही सवाल सरकार और दिल्ली पुलिस से किया था कि क्या इस शोभा यात्रा को अनुमति दी गई थी, क्या दिल्ली पुलिस ने रूट मैप मंजूर किया था। कल तक दिल्ली पुलिस के अधिकारी मीडिया को बाइट दे रहे थे कि हमने जुलूस की अनुमति दी थी।
दिल्ली पुलिस चालाकी से इस बात को छिपा रही थी कि उसने पहली दो शोभा यात्राओं को अऩुमति दी थी और तीसरी को अनुमति नहीं दी थी। हिंसा उसी तीसरी में हुई थी। लेकिन इसी से जुड़ा एक सवाल यह खड़ा हुआ है कि जो पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे, उन्होंने शोभा यात्रा को फौरन रोका क्यों नहीं। जिस एसआई मेदालाल मीणा को हाथ में गोली लगी है, उन्होंने बताया है कि वहां पुलिस कर्मी उस समय मौजूद थे। उन पुलिसकर्मियों के साथ अधिकारी भी जरूर रहे होंगे, क्या वो शोभा यात्रा के रंग-ढंग देखकर उसे रोक नहीं सकते थे।
जहांगीरपुरी में हिंसा की घटनाएं शनिवार को शाम सवा छह बजे से शुरू हो गई थीं। उस इलाके के 90 फीसदी से ज्यादा मुसलमान रोजा खोलने की तैयारी में थे। ऐसे में हिंसा की जिन घटनाओं से उन्हें जोड़ा गया, उसके सबूत अभी सामने आना बाकी हैं। दिल्ली पुलिस को जब पहले से मालूम था कि तीसरी शोभा यात्रा अवैध रूप से निकाली गई थी तो उसने रविवार सुबह ही मुसलमानों की एकतरफा गिरफ्तारी के साथ ही बजरंग दल और वीएचपी के नेताओं की गिरफ्तारी क्यों नहीं की। हिंसा में शामिल बजरंग दल और वीएचपी के अन्य कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी बाकी है।
अपनी राय बतायें