ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने पहली बार यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) पर अपनी राय खुलकर स्पष्ट की है। बोर्ड ने कहा है कि यूसीसी लाते वक्त मुसलमानों की धार्मिक आजादी का पूरा ख्याल रखा जाए। बोर्ड ने यह महत्वपूर्ण बयान बुधवार को लखनऊ में आयोजित अपनी कार्यकारी बैठक के बाद जारी किया है।
शिया बोर्ड ने कहा कि मुसलमान देश के कानून का पालन करते हैं लेकिन उन्हें अपने धर्म का पालन करने की आजादी दी जानी चाहिए। बोर्ड ने कहा कि यूसीसी का पूरा ड्राफ्ट सार्वजनिक किया जाए, ताकि मुसलमान भी इस पर चर्चा कर सकें और अपनी राय दे सकें।
शिया बोर्ड का यूसीसी पर यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब देशभर के तमाम मुस्लिम संगठन यूसीसी को लेकर तमाम तरह की आशंकाएं जता रहे हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिन्द 28 मई को देवबंद में इस मुद्दे पर बहुत बड़ा जलसा आयोजित करने जा रहा है, जिसमें अन्य मुस्लिम संगठनों को बुलाया गया है। शिया बोर्ड के बयान से यह संकेत मिल रहा है कि वो यूसीसी का विरोध करने से पहले उसमें क्या बातें हैं, उसे जानना चाहता है। उसने फिलहाल यूसीसी का सीधा विरोध नहीं किया। इस तरह अन्य मुस्लिम संगठनों और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मुकाबले उसकी राय थोड़ा सा अलग है।
बहरहाल, शिया बोर्ड ने कहा कि वो बहुत जल्द इस संबंध में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाकात करने वाला है। जिसमें मुसलमानों की तमाम समस्याओं को रखा जाएगा।
बोर्ड ने यह भी कहा कि प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट 1991 (पूजा स्थल अधिनियम 1991) कायम रखा जाए और उसका किसी भी रूप में कहीं भी उल्लंघन न हो। 15 अगस्त 1947 की स्थिति को हर जगह उसी स्थिति में रखा जाए। तमाम ऐतिहासिक धरोहरों की सुरक्षा का इंतजाम किया जाए। शिया बोर्ड ने कहा कि ऐतिहासिक धरोहरों के रखरखाव के लिए अलग से एक कमेटी बनाई जाए।
हिजाब पर स्थिति साफ की
शिया बोर्ड ने हिजाब पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि हिजाब मुस्लिम महिलाओं का एक आवश्यक धार्मिक पहनावा है। जहां तक स्कूल-कॉलेजों में हिजाब की बात है तो उसे यूनिफॉर्म के साथ मुस्लिम लड़कियों को पहनने की इजाजत दी जानी चाहिए। बता दें कि हिजाब के मुद्दे पर बीजेपी शासित कर्नाटक में काफी हंगामा हुआ। वहां हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेज आने वाली लड़कियों को रोक दिया गया। उन्हें परीक्षा देने से भी रोक दिया गया। कर्नाटक को देखकर कई और भी बीजेपी शासित राज्यों ने इस तरह के पहल की कोशिश की।
अपनी राय बतायें