शाहीन बाग आन्दोलन के 50 दिन पूरे हो गए। दिल्ली के इस मुसलिम-बहुल इलाक़े में सैकड़ों की तादाद में महिलाएँ बीते 50 दिन से धरने पर बैठी हुई हैं और माँग कर रही हैं कि सरकार नागरिकता संशोधन क़ानून वापस ले ले। आज़ाद भारत में यह पहला मौका है जब सैकड़ों की तादाद में महिलाएँ और उनमें ज़्यादातर मुसलमान, सड़कों पर इतने लंबे समय से बग़ैर किसी राजनीतिक पार्टी के समर्थन के बैठी हैं। यह देश की मुसलमान महिलाओं के लिए एक बहुत बड़ी बात है।
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कभी तीन तलाक़, कभी उर्दू-मदरसा तो कभी बुर्के की राजनीति में उलझे भारत के मुसलिम नेतृत्व के लिए यह नई बात है। ये औरतें किसी एक राजनीतिक दल की महिला संगठन से जुड़ी नहीं हैं, न ही किसी दल से इनका कोई ख़ास लगाव या विरोध है।
दिल्ली के मध्यवर्ग की मामूली औरतें खाना-बनाने और बच्चों व पति का ख्याल रखने का काम किनारे रख सड़क पर बैठी हुई हैं, दिसंबर-जनवरी की दिल्ली की ठिठुरन वाली रात में जब तापमान कई बार 4 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच गया है।
सरकार की कान पर जूँ नहीं रेंगती
सरकार ने आन्दोलन शुरू होने के 49 दिन बीत जाने के बाद बहुत ही अनमने और बेरुखे ढंग से कहा कि वह इन महिलाओं की बातें सुनने को तैयार है। इस पर भी अब तक कोई पहल नहीं हुई है। न सरकार ने किसी प्रतिनिधि को बातचीत के लिए भेजा है, न ही उन्हें कोई निमंत्रण दिया गया है। बस, केंद्रीय क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शनिवार को कहा कि सरकार उनकी बातें सुनने को तैयार है।महिलाओं के इस आन्दोलन को बदनाम करने में सत्तारूढ़ दल तो है ही, मीडिया के एक बड़े वर्ग ने इस आन्दोलन की छवि ख़राब करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कहा गया कि उनके मंच से जिन्ना वाली आज़ादी का नारा लगाया गया, उनके मंच से कुरान की आयतें पढ़ी गईं, यह भारतीय मुसलमानों का इंतिफ़दा है, भारतीय मुसलमान हिन्दुओं के ख़िलाफ़ साजिश रच रहे हैं और शाहीन बाग उसका एक हिस्सा भर है।
बदनाम करने की मुहिम
यह प्रचारित किया गया कि ये महिलाएँ 500-700 रुपये लेकर धरना प्रदर्शन पर बैठती हैं, शि़फ़्टों में काम करती हैं। यह आन्दोलन विदेशी ताक़तें चला रही हैं और उसके पीछे विदेशी पैसा लगाया जा रहा है।शरजील इमाम ने अलीगढ़ में जो कुछ कहा, उसे यह कह कर प्रचारित किया गया कि यह शाहीन बाग में कहा गया है। कहा गया कि शाहीन बाग देश को तोड़ने की साजिश है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आरोप लगाया है कि जो लोग कश्मीर में आतंकवादियों का समर्थन करते हैं, वे लोग शाहीन बाग़ में धरना दे रहे हैं और आज़ादी के नारे लगा रहे हैं।
पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा ने शाहीन बाग़ के धरने को लेकर, ‘ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, आपकी बहन-बेटियों से रेप करेंगे’ का बयान दिया था। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने शाहीन बाग़ को तौहीन बाग़ कहा था।
इसके बावजूद शाहीन बाग का आन्दोलन चलता रहा, यह न रुका, न टूटा और न ही झुका।
शाहीन बाग में हिंसा
अगले चरण के रूप में शाहीन बाग में खुले आम हिंसा का सहारा लिया गया। एक आदमी रिवॉल्वर लेकर शाहीन बाग में घुस गया, उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया गया।इसके अगले चरण के रूप में शाहीन बाग से थोड़ा हट कर जामिया मिल्लिया इसलामिया के बाहर एक युवक वहाँ जमा भीड़ पर गोली चला दी और चिल्ला कर कहा, ‘ये लो आज़ादी।’ जिस जगह वह युवक तमंचा लहरा रहा था, ठीक उसी जगह, उसके एकदम पीछे खड़े पुलिस वालों ने उसे रोकने की कोई कोशिश नहीं की। यह वही पुलिस है, जिसने जामिया के अंदर घुस कर छात्रों को बुरी तरह पीटा था और लाइब्रेरी में पढ़ रहे छात्रों को भी नहीं बख़्शा था।
हिन्दू सेना की धमकी
आन्दोलन को धमकाने के लिए अगले चरण के रूप में हिन्दू सेना ने खुले आम कहा कि वह 2 फरवरी को वहाँ जाएगी और दो घंटे के अंदर शाहीन बाग को खाली करवा लेगी। शाहीन बाग की औरतों ने कहा कि वे इस तरह की धमकियों से नहीं डरे वाली।बाद में हिन्दू सेना ने अपना यह कार्यक्रम रद्द कर दिया। ‘द वायर’ ने कहा है कि हिन्दू सेना के प्रमुख विष्णु गुप्ता ने एक प्रेस बयान में कहा है कि वे यह कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के दक्षिण-पूर्व के उपायुक्त चिन्मय बिस्वाल और दूसरे आला अफ़सरों से मुलाक़ात और बातचीत के बाद क़ानून व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है।
अगले चरण में शनिवार को एक युवक शाहीन बाग पहुँचा और हवा में तीन गोलियाँ दाग दीं। उसने 'जयश्री राम' का नारा लगाया और चिल्ला कर कहा, 'हमारे देश में सिर्फ़ हिन्दुुओं की चलेगी।'
भड़काऊ नारेबाजी
कुछ हिन्दू संगठनों ने रविवार दोपहर वहाँ चल रहे धरना प्रदर्शन के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी की। कुछ लोगों ने वहाँ जाकर आपत्तिजनक और भड़काऊ नारे लगाए और वहाँ धरने पर बैठी महिलाओं से चले जाने को कहा। इन लोगों ने वहाँ तैनात पुलिस वालों से कहा कि वे यह जगह तुरन्त खाली कराएँ क्योंकि धरने की वजह से लोगों को आवाजाही में दिक्क़त होती है।रविवार को कुछ लोग शाहीन बाग पहुँचे और पुलिस पर दबाव डालने लगे कि उन्हें जाने-आने में दिक्क़त होती है, यह इलाक़ा खाली करवाया जाए। बच्चे स्कूल नहीं जा पाते, एम्बुलेन्स नहीं जा पाता, लोग दफ्तर नही जा पाते हैं। पर शाहीन बाग में सड़क के एक किनारे से स्कूल बस भी जा रही है औ एम्बुलेन्स भी जा रहा है।
शाहीन बाग का आन्दोलन अब भी चल रहा है। शाहीन बाग दिल्ली से निकल कर देश के दूसरे हिस्सों में फैल चुका है। कोलकाता, प्रयागराज, लखनऊ, रांची, चेन्नई, मुंबई, पुणे, हैदराबाद, पटना और न जाने कितने शहर, न जाने कितने शाहीन बाग, न जाने कितनी औरतें।
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