वर्चुअल बैठक के दौरान बेहद कड़ा रूख अख़्तियार करते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सभी राज्यों के मुख्यमत्रियों से अपील की कि वे इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए साथ आएं। ममता ने कहा, ‘छात्र मुसीबत का सामना कर रहे हैं और सरकार ने ऐसे हालात के बीच एग्जाम कराने की घोषणा कर दी। रेल नहीं चल रही हैं, हवाई यातायात बहुत कम है। इस हालात में छात्रों को नुक़सान हो सकता है।’
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केंद्र सरकार अड़ी
ज्वाइंट एंट्रेंस एग्जामिनेशन (जेईई) और नेशनल एलिजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट (एनईईटी) एग्जाम का मुद्दा सोशल मीडिया पर छाया हुआ है। छात्रों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के ऐसे ख़तरनाक दौर में इन एग्जाम को नहीं कराया जाना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। इन एग्जाम को कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने कहा है कि एग्जाम अपने तय समय पर यानी सितंबर में ही होंगे।
एजेंसी की ओर से कहा गया है कि एग्जाम सेंटर्स पर सोशल डिस्टेंसिंग सहित बाक़ी ज़रूरी एहतियात बरते जाएंगे। छात्रों के जबरदस्त विरोध के बाद भी शिक्षा मंत्रालय तय समय पर ही एग्जाम कराना चाहता है।
ऐसे वक्त में जब हर दिन कोरोना के 60 हज़ार से ज़्यादा मामले आ रहे हैं, कुल मामले 32 लाख से ज़्यादा हो चुके हैं और 60 हज़ार के क़रीब मौतें हो चुकी हैं, छात्रों और उनके परिजनों की एग्जाम को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ़्ते इस संबंध में दायर एक याचिका को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि छात्रों के क़ीमती साल को बर्बाद नहीं होने दिया जा सकता। याचिका में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए एग्जाम को रद्द करने की मांग की गई थी।
ममता बनर्जी का इस बैठक में शामिल होने के लिए रजामंद होना यह दिखाता है कि बीजेपी को घेरने के लिए विपक्षी दल लामबंद हो रहे हैं। इसे पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में किसी तरह की सहमति बनने को लेकर भी देखा जा सकता है।
लॉकडाउन के कारण आर्थिक नुक़सान
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के कारण राज्यों को भयंकर आर्थिक नुक़सान हुआ है। अनलॉक की प्रक्रिया चालू होने के बाद भी काम-धंधों ने अभी तक तेज़ी नहीं पकड़ी है। राज्य सरकारों की तिजोरी खाली है और वे लगातार केंद्र से उनके हिस्से का जीएसटी रिटर्न देने की मांग कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार की ओर से इसे लेकर प्रधानमंत्री को पत्र लिखा जा चुका है। कई राज्यों में सरकारों के पास कर्मचारियों को वेतन देने के लाले पड़े हुए हैं।
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