सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोचिंग सेंटर डेथ चैंबर बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को यह टिप्पणी दिल्ली में एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में यूपीएससी की तैयारी कर रहे तीन अभ्यर्थियों की डूबने से मौत के मामले में की। अदालत ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है। यह तब हुआ जब पीठ दिसंबर 2023 में पारित दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ कोचिंग सेंटर फेडरेशन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। उस आदेश में उसने सभी कोचिंग सेंटरों के निरीक्षण की प्रक्रिया को प्रभावी ढंग से विनियमित करने के लिए कई उपाय जारी किए थे।
यूपीएससी छात्रों की मौत के मामले की सुनवाई शुरू करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की दो जजों की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया। इसके साथ ही इसने कहा कि हाल ही में हुई मौतें आंखें खोलने वाली हैं और कोचिंग सेंटर डेथ चैंबर बन गए हैं।
अदालत ने कहा, 'कोचिंग सेंटर छात्रों की जिंदगी से खेल रहे हैं और डेथ चैंबर बन गए हैं।' अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से पूछा कि राष्ट्रीय राजधानी के कोचिंग सेंटरों में किस तरह के सुरक्षा प्रोटोकॉल लागू हैं। अदालत ने कहा, 'हम इन कार्यवाहियों के दायरे को बढ़ाकर केंद्र और दिल्ली को नोटिस जारी करना उचित समझते हैं, ताकि वे कारण बताएं कि अब तक क्या सुरक्षा मानदंड निर्धारित किए गए हैं और यदि हां, तो उनके अनुपालन के लिए क्या प्रभावी तंत्र अपनाया गया है।'
अदालत ने भारत के अटॉर्नी जनरल को इस मामले में सहायता देने का निर्देश दिया और यह भी सुझाव दिया कि यदि कोचिंग सेंटर सुरक्षा मानदंडों का पालन करने में असमर्थ हैं, तो उन्हें ऑनलाइन कक्षाओं के माध्यम से संचालन पर विचार करना चाहिए।
इन मौतों से पूरे देश में आक्रोश फैल गया और पिछले सप्ताह दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो को मामले की जांच करने का निर्देश दिया।
अदालत ने एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ कोचिंग सेंटर फेडरेशन की याचिका खारिज कर दी, लेकिन इसने बड़े मुद्दे यूपीएससी कोचिंग सेंटर में मौत का स्वत: संज्ञान लेने का फ़ैसला किया।
हाल ही में दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम को अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना राष्ट्रीय राजधानी में चल रहे कोचिंग केंद्रों को बंद करने का निर्देश दिया।
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