कर्नाटक के कुछ स्कूलों से शुरू हुए हिजाब विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि इस मामले में सही समय आने पर सुनवाई की जाएगी। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि इस तरह की बातों को राष्ट्रीय स्तर तक ना लाएं।
सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक की एक छात्रा ने याचिका दायर कर कर्नाटक हाई कोर्ट की सलाह को चुनौती दी है। कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को कहा था कि स्कूल और कॉलेजों में तब तक किसी तरह के धार्मिक कपड़े ना पहने जाएं जब तक अदालत इस मामले में कोई फैसला नहीं करती।
सुनवाई के दौरान जब एक वकील ने इस दलील को रखा कि मुसलिम छात्राएं पिछले 10 साल से हिजाब पहन रही हैं और इस मामले के दूरगामी प्रभाव हो सकते हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले को बड़े स्तर पर ना फैलाएं।
अदालत ने कहा कि हम नहीं जानते कि क्या हो रहा है लेकिन यह सोचा जाना चाहिए कि क्या इस तरह की बातों को दिल्ली लाना ठीक है। सीजेआई रमना ने कहा कि अगर कहीं कुछ गलत होता है तो हम उसे देखेंगे।
सीजेआई ने कहा कि हम यहां पर सभी नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करने के लिए ही बैठे हैं। सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब कर्नाटक हाई कोर्ट का कोई आदेश इस मामले में नहीं आया है तो इसे सुप्रीम कोर्ट में कैसे चुनौती दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इस मामले में हाई कोर्ट को फैसला करने दिया जाए और इसे किसी भी तरह का धार्मिक या राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
हिजाब डे मनाया
उधर, महाराष्ट्र के मालेगांव में मुसलिम समुदाय के लोगों ने शुक्रवार को हिजाब डे मनाया है। जमीयत उलेमा ए हिंद के आह्वान पर मुसलिम समुदाय के लोग सड़कों पर उतरे। कई संगठनों ने इसे समर्थन भी दिया है। प्रदर्शन में मौजूद लोगों ने कहा है कि हिजाब उनका अधिकार है और इस पर लगे बैन को वापस लिया जाना चाहिए।
पुलिस ने इस मामले में एआईएमआईएम के स्थानीय विधायक को नियमों का उल्लंघन करने और प्रदर्शन स्थल पर जाकर भाषण देने पर नोटिस जारी किया है। इसके अलावा जमीयत उलेमा ए हिंद के चार पदाधिकारियों पर भी धारा 144 का उल्लंघन करने पर मुकदमा दर्ज किया गया है।
यह विवाद 4 फरवरी को तब तूल पकड़ गया था जब कर्नाटक के उडुपी जिले के एक बालिका सरकारी स्कूल में लड़कियों ने आरोप लगाया था कि उन्हें हिजाब पहनकर कक्षाओं में बैठने नहीं दिया जा रहा है। इसके बाद कर्नाटक के दूसरे स्कूलों में कुछ छात्राएं और छात्र भगवा दुपट्टा पहनकर पहुंच गए थे।
हालात को बिगड़ते देख राज्य के शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी कर कहा था कि स्कूल प्रशासन की ओर से निर्धारित की गई यूनिफॉर्म या ड्रेस को ही छात्र और छात्राएं पहन सकते हैं। सर्कुलर में कहा गया था कि स्कूल-कॉलेजों में किसी भी तरह की धार्मिक प्रथा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
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