सुप्रीम कोर्ट ने रफ़ाल सौदे पर अपने फ़ैसले में मोदी सरकार को बड़ी राहत दी है। अदालत ने याचिका पर फ़ैसला सुनाते हुए कहा है कि रफ़ाल विमानों की क़ीमत के बारे में कोई राय देना उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता और विमान खरीदने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में भी कहीं कोई बड़ी चूक नहीं है। कोर्ट के अनुसार ऑफसेट पार्टनर के चयन में भी किसी गड़बड़ी का सबूत नहीं मिला है और यह दो कंपनियों का मामला है जिसमे किसी सरकार का कोई दख़ल नहीं है। इसके साथ ही उसने अदालत की निगरानी में जाँच की माँग को ख़ारिज कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सौदे में क़ीमत, प्रक्रिया या ऑफ़सेट पार्टनर चुनने सहित किसी भी मामले में कोई जाँच की ज़रूरत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की मुख्य बातें:
- रफ़ाल सौदे में निर्णय लेने की प्रक्रिया पर संदेह करने का कोई आधार नहीं है।
- लड़ाकू जहाज़ ख़रीद की प्रक्रिया में अदालत के हस्तक्षेप की कोई वजह नहीं है।
- जहाज़ की क़ीमत का अध्ययन करना अदालत का काम नहीं है।
- सिर्फ़ प्रेस में दिए गए इंटरव्यू के आधार पर न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है, ख़ास कर जब सरकार ने किसी तरह की अनियमितता से इनकार कर दिया हो।
- सिर्फ़ निजी अनुमान के आधार पर किसी मामले की जाँच का आदेश नहीं दिया जा सकता है।
- सरकार कितने जहाज़ ख़रीदे, अदालत यह तय नहीं कर सकती।
- सौदे की समीक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा के हित को ध्यान में रख कर की जानी चाहिए।
अदालत का फ़ैसला देश की राजनीति के लिए अहम साबित हो सकता है क्योंकि कुछ महीने बाद ही आम चुनाव होने हैं। विपक्ष इस मुद्दे पर काफ़ी आक्रामक रहा है और ताज़ा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने रफ़ाल सौदे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इसे एक बड़ा मुद्दा बनाया था।
याचिकाकर्ताओं ने फ़्रांस से 36 रफ़ाल लड़ाकू विमानों की ख़रीद के मामले में कोर्ट के निर्देशन में जाँच की माँग की थी।
सबसे पहले वकील एम. एल. शर्मा ने याचिका दायर की थी। उसके बाद विनीत ढांडा, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और दूसरे लोगों ने भी अलग-अलग याचिकाएं दी थीं। इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने अदालत से अपील की थी कि रफ़ाल सौदे में हुई कथित अनियमितताओं के कारण प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश सीबीआई को दिया जाए। अदालत ने तमाम याचिकाओं पर सुनवाई एक साथ करने का फ़ैसला किया था।
मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाला खंडपीठ कर रहा था, जिसमें जस्टिस एस. के. कौल और जस्टिस के.एम. जोजफ़ भी थे। भारत ने फ़्रांस की कंपनी दसॉ से 36 रफ़ाल विमान ख़रीदने का सौदा किया। रफ़ाल विमान मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ़्ट है।
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि यह बहुत महँगा सौदा है और इसमें भ्रष्टाचार हुआ है, ऐसा लगता है और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इसकी जाँच की जाए। आज के फ़ैसले से इस मामले पर पटाक्षेप होने की संभावना है।
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने रफ़ाल याचिका ख़ारिज किए जाने पर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला ग़लत है। उन्होंने अदालत के निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। भूषण ने कहा, ‘ हमारी निगाह में यह पूरी तरह गलत निर्णय है। हम अभी भी यह मानते हैं कि प्रक्रिया का उल्लंघन हुआ और सरकार ने गड़बड़ियाँ की हैं।’ पूरी प्रतिक्रिया पढ़ें।
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