सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि देश का केवल एक ही डोमिसाइल है और किसी भी राज्य के लिए कोई अलग डोमिसाइल नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि राज्य पुनर्गठन क़ानून नागरिकों से देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का अधिकार नहीं छीन सकते।
इस फ़ैसले का साफ़ संदेश यह है कि नागरिकता भारतीय होने की दी जाती है न कि राज्यों की। कोर्ट ने यह कहा भी कि संविधान के तहत भारत राज्यों का एक संघ है। इसने कहा कि प्रत्येक राज्य का प्रत्येक भाग भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला आँध्र प्रदेश के एक अधिकारी की पोस्टिंग को लेकर आया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, एक अधिकारी बी सुब्बा रायडू ने अविभाजित आंध्र प्रदेश राज्य के पशुपालन विभाग में संयुक्त निदेशक वर्ग ए के राज्य कैडर पद पर कार्य किया। उनकी पत्नी बी शांताबाई भी उसी राज्य में सहायक रजिस्ट्रार के रूप में कार्यरत राज्य सरकार की कर्मचारी थीं।
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2014 ने 2 जून 2014 से आंध्र प्रदेश राज्य को दो राज्यों में बाँट दिया। आंध्र प्रदेश के साथ ही नया तेलंगाना राज्य बन गया। रायडू ने तेलंगाना को आवंटन के लिए विकल्प चुना। हालाँकि, उन्हें अस्थायी रूप से आंध्र प्रदेश राज्य के लिए आवंटित किया गया था। इसके ख़िलाफ़ उन्होंने एक आवेदन दिया कि उन्हें तेलंगाना राज्य का स्थानीय उम्मीदवार माना जाए। बाद में तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय ने उनके द्वारा दायर रिट याचिकाओं को अनुमति दी। इसी को चुनौती देते हुए राज्य ने सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्च न्यायालय के विचार से सहमत होते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रायडू तेलंगाना के एक स्थानीय उम्मीदवार थे और वह अनुच्छेद 18 (एफ) की गाइडलाइंस के तहत अपनी वरिष्ठता के अनुसार इसके हकदार थे।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार कोर्ट ने कहा, 'यह सच है कि प्रतिवादी का जन्म उस क्षेत्र में हुआ होगा जो अब आंध्र प्रदेश का हिस्सा है और हो सकता है कि उन्होंने अपनी शिक्षा का एक बड़ा हिस्सा उन क्षेत्रों में प्राप्त किया हो जो अब आंध्र प्रदेश राज्य का हिस्सा हैं। हालाँकि, उन्होंने तेलंगाना राज्य के भीतर के क्षेत्रों से सभी बोर्ड और विश्वविद्यालयी परीक्षाओं को पास किया है। विभाजन के समय वह हैदराबाद में तैनात थे, जो अब तेलंगाना का हिस्सा है।'
राज्य की अपील को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'संविधान के तहत भारत राज्यों का एक संघ है। प्रत्येक राज्य का प्रत्येक भाग भारत का अभिन्न और अविभाज्य अंग है। प्रतिवादी का जन्म भारत में हुआ था। भारत के क्षेत्र में उनका डोमिसाइल है।'
अदालत ने यह भी कहा कि भारतीय संविधान के तहत देश का केवल एक डोमिसाइल है और एक राज्य के लिए कोई अलग डोमिसाइल नहीं है।
रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा कि पुनर्गठन अधिनियम नागरिकों से देश के किसी भी हिस्से में रहने और बसने का अधिकार नहीं छीन सकता है।
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