मथुरा कृष्ण जन्मभूमि भूमि मामले में मस्जिद के सर्वेक्षण का रास्ता अब पूरी तरह साफ़ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हरी झंडी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में शाही-ईदगाह मस्जिद के निरीक्षण के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ ने मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया। अदालत भूमि विवाद पर कई मुकदमों को अपने पास स्थानांतरित करने के उच्च न्यायालय के मई 2023 के आदेश को चुनौती देने वाली एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
हालाँकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश को उसके समक्ष औपचारिक रूप से चुनौती नहीं दी गई है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि मामले की सुनवाई छुट्टी के बाद की जा सकती है और सुनवाई 9 जनवरी को फिर से शुरू होगी। पीठ ने कहा कि यदि उच्च न्यायालय इस बीच कोई आदेश पारित करता है, तो मस्जिद समिति उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकती है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही आदेश दिया है जिसमें मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के प्राथमिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई। हिंदू याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान कृष्ण जन्मस्थान पर बनाई गई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने हाल ही आदेश दिया है जिसमें उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह मस्जिद परिसर के प्राथमिक सर्वेक्षण की अनुमति दी गई। हिंदू याचिकाकर्ताओं का तर्क है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान कृष्ण जन्मस्थान पर बनाई गई थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर से सटे शाही ईदगाह परिसर के एएसआई सर्वे को मंजूरी दे दी है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस मयंक कुमार जैन की एकल पीठ ने इस मामले से जुड़े हुए हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने वक्फ बोर्ड की दलीलों को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने बीते 16 नवंबर को अपना फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दिन मथुरा के शाही ईदगाह परिसर से जुड़ी 18 याचिकाओं में से 17 पर सुनवाई हुई थी। ये सभी याचिकाएं मथुरा जिला अदालत से हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए शिफ्ट हुईं थीं।
हिंदू पक्ष की ओर से लंबे समय से मांग रही है कि मथुरा में शाही ईदगाह के परिसर का एएसआई से सर्वे कराया जाए ताकि यह पता चल सके कि क्या यह हिंदू मंदिर के अवशेष पर बना है। वहीं मुस्लिम पक्ष इस तरह के किसी सर्वे का विरोध करता आया है। कुछ ऐसा ही मामला काशी में ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर चल रहा है जहां कोर्ट के आदेश पर सर्वे को मंजूरी मिली थी।
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