सुप्रीम कोर्ट ने काँवड़ यात्रा आदेश पर अंतरिम रोक को आगे बढ़ा दिया है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देशों में कहा गया था कि काँवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित भोजनालयों पर मालिकों और कर्मचारियों के नाम प्रदर्शित किए जाने चाहिए। यह रोक 5 अगस्त तक जारी रहेगी, जो अगली सुनवाई की तारीख़ है। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि किसी को भी नाम उजागर करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता।
जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की पीठ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ सिविल राइट्स, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, प्रोफेसर अपूर्वानंद और स्तंभकार आकार पटेल द्वारा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, जब मामले की सुनवाई हुई, तो मोइत्रा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कल रात 10.30 बजे जवाबी हलफनामा दाखिल किया है। उन्होंने कहा कि इसीलिए अब जवाब दाखिल करने के लिए समय की आवश्यकता है। यह कहते हुए कि हलफनामा रिकॉर्ड पर नहीं आया है, पीठ ने मामले को स्थगित करने पर सहमति जताई।
उत्तर प्रदेश राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि केंद्रीय कानून खाद्य एवं सुरक्षा मानक अधिनियम, 2006 के अनुसार ढाबों सहित हर खाद्य विक्रेता को मालिकों के नाम प्रदर्शित करने होंगे। इसलिए, मालिकों के नाम प्रदर्शित करने के निर्देश पर रोक लगाने वाला न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम आदेश केंद्रीय कानून के विपरीत है।
सिंघवी ने कहा कि चूँकि पिछले 60 वर्षों की कांवड़ तीर्थयात्राओं के दौरान मालिकों के नाम प्रदर्शित करने का कोई आदेश नहीं था, इसलिए इस वर्ष ऐसे निर्देशों के लागू किए बिना यात्रा की अनुमति देने में कोई बुराई नहीं है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने अपने हलफनामे में स्वीकार किया है कि यह निर्देश भेदभाव पैदा कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर हलफनामे में राज्य सरकार ने अदालत का ध्यान खाद्य और सुरक्षा मानकों के अधिनियम की ओर भी दिलाया है। इसने कहा है कि इसमें सभी छोटे खाद्य व्यवसायों के पंजीकरण और मालिक की फोटो पहचान और पंजीकरण प्रमाणपत्र के अनिवार्य रूप से प्रदर्शित करने की ज़रूरत है, जो दुख की बात है कि अधिकांश ढाबों में यह नहीं है, कुछ में तो पंजीकरण भी नहीं है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा, 'कांवड़िये सख्त शाकाहारी, सात्विक आहार का पालन करते हैं, प्याज, लहसुन और अन्य सभी तामसिक खाद्य पदार्थों से परहेज करते हैं।' इसने यह भी बताया कि 'सात्विक भोजन का मतलब सिर्फ़ प्याज और लहसुन के बिना भोजन तैयार करना नहीं है, बल्कि भोजन तैयार करने का तरीका भी है, जो अन्य त्योहारों के दौरान व्रत रखने के दौरान फलहार के समान है।'
सरकार ने कहा कि 'अनजाने में किसी ऐसी जगह पर भोजन करने की घटना, जो अन्यथा उनकी पसंद की नहीं होती, कांवड़ियों के लिए पूरी यात्रा, क्षेत्र में शांति और सौहार्द को बिगाड़ सकती है, जिसे बनाए रखना राज्य का कर्तव्य है।'
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि पिछले सप्ताह ही यात्रा मार्ग पर भोजनालयों में परोसे जा रहे प्याज और लहसुन को लेकर झड़पें और विवाद हुए हैं।
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