सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 2 अगस्त को कहा कि एनटीए को NEET-UG 2024 परीक्षा कराने में कमियों से बचना चाहिए। उसने कहा कि एक राष्ट्रीय परीक्षा में इस तरह की ''उलझन'' छात्रों के हितों की पूर्ति नहीं करती है। पेपर लीक के आरोपों और परीक्षा में अन्य अनियमितताओं पर बढ़ते विवाद के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट 2024 एनईईटी-यूजी मेडिकल प्रवेश परीक्षा को रद्द नहीं करने के कारणों पर अपना विस्तृत फैसला शुक्रवार को सुनाया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने यह भी कहा कि विशेषज्ञ समिति को परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करना चाहिए। हमने अपने फैसले में एनटीए की संरचनात्मक प्रक्रियाओं में सभी कमियों को उजागर किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''छात्रों की भलाई के लिए हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते।''
पीठ ने गलत प्रश्न पत्र की वजह से 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स देने के एनटीए के फैसले पर भी आपत्ति जताई। हालाँकि, बाद में एनटीए ने ग्रेस मार्क्स देने का आदेश वापस ले लिया और उन छात्रों को दोबारा परीक्षा देनी पड़ी। बाद की परीक्षा में वो लोग पहले के मुकाबले बेहतर नतीजा नहीं दे पाए।
सुप्रीम कोर्ट ने नीट परीक्षा प्रणाली में कमियों को दूर करने के लिए सरकारी पैनल द्वारा रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय की है। केंद्र सरकार ने भारी आलोचना के बाद पूर्व इसरो प्रमुख के. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में एक पैनल एनटीए के कामकाज की समीक्षा के लिए बनाया था। इस पैनल से परीक्षा सुधारों पर सलाह भी मांगी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राधाकृष्णन पैनल को परीक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए तकनीकी को अपनाने के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेशनल प्रक्रिया तैयार करने पर विचार करना चाहिए। शीर्ष अदालत ने आगे कहा कि NEET-UG परीक्षा के दौरान जो मुद्दे सामने आए हैं, उन्हें केंद्र द्वारा ठीक किया जाना चाहिए।
इस बीच, एनटीए ने संशोधित नीट यूजी परिणाम जारी कर दिया है और काउंसलिंग शुरू हो गई है।
अपनी राय बतायें