भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी वो बहुचर्चित गाइडलाइन वापस ले ली है, जिसमें उसने कहा था कि तीन महीने की गर्भवती महिला ड्यूटी ज्वाइन नहीं कर सकती। एसबीआई का यह आदेश आज शाम को आया। इससे पहले उसे तमाम महिलाकर्मियों और राजनीतिक दलों की आलोचना सहन करना पड़ी। आलोचना के बाद ही उसने गाइडलाइन वापस ली।
एसबीआई ने इन महिलाओं को "अस्थायी रूप से अयोग्य" कहा था। इसका संज्ञान लेते हुए दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने आज सुबह एसबीआई को नोटिस जारी कर दिया। मालीवाल ने कहा कि एसबीआई की कार्रवाई भेदभावपूर्ण और अवैध है। क्योंकि यह कानून के तहत प्रदान किए जाने वाले मातृत्व लाभों को प्रभावित कर सकती है। सीपीआई ने भी एसबीआई की इस गाइडलाइन को बेतुका बताया था और वापस लेने की मांग की थी। स्वाति मालीवाल कहा, "एसबीआई ने 3 महीने से अधिक गर्भवती महिलाओं को सेवा में शामिल होने से रोकने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं और उन्हें 'अस्थायी रूप से अयोग्य' करार दिया है। यह भेदभावपूर्ण और अवैध भी है। हमने उन्हें इसे वापस लेने की मांग करते हुए नोटिस जारी किया है।
Press release relating to news items about required fitness standards for recruitment in Bank. Revised instructions about recruitment of Pregnant Women candidates stands withdrawn.@DFS_India pic.twitter.com/QXqn3XSzKF
— State Bank of India (@TheOfficialSBI) January 29, 2022
नोटिस में, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) ने कहा कि एसबीआई ने 31 दिसंबर को एक सर्कुलर में उन महिलाओं को काम में शामिल होने से रोक दिया है, जो नियत प्रक्रिया के माध्यम से चुने जाने के बावजूद तीन महीने से अधिक की गर्भवती हैं। डीसीडब्ल्यू ने कहा, "सर्कुलर में कहा गया है कि उसे अस्थायी रूप से अनफिट माना जाएगा और उसे बच्चे के जन्म के बाद चार महीने के भीतर शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है।"
State Bank of India seems to have issued guidelines preventing women who are over 3 months pregnant from joining service & have termed them as ‘temporarily unfit’. This is both discriminatory and illegal. We have issued a Notice to them seeking withdrawal of this anti women rule. pic.twitter.com/mUtpoCHCWq
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) January 29, 2022
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