loader

सैटेलाइट तसवीरें : चीनी सेना ने गलवान में बनाए 16 कैंप, बंकर, स्थायी  संरचनाएँ

प्रधानमंत्री जो कहें, उपग्रह से मिली तसवीरों से यह बिल्कुल साफ़ है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी के एक हिस्से पर न सिर्फ कब्जा कर लिया है, बल्कि वहाँ 16 स्थायी कैंप बना लिए हैं। पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने वहाँ कैंप के अलावा बंकर, संगर यानी पत्थर की दीवाल, छाती की ऊँचाई तक की ठोस दीवाल और दूसरी ठोस संरचनाएं खड़ी कर ली हैं। 

सैटेलाइट तसवीरें

एनडीटीवी ने प्लानेट लैब की 25-26 जून की सैटेलाइट तसवीरों का विश्लेषण कर कहा है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास गलवान नदी के किनारे चीनी सेना ने तटबंध बना लिया है और वहाँ एक जगह काले रंग का तिरपाल का कवर भी दिख रहा है। गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर लगभग 9 किलोमीटर के इलाक़े में चीनी सैनिकों ने कब्जा कर लिया है। 
देश से और खबरें
उपग्रह से मिली तसवीरों से बिल्कुल साफ़ है कि चीनी सेना ने गलवान घाटी का वह इलाक़ा खाली नहीं किया है, इसके उलट वह उस जगह अपना जमावड़ा बढ़ाती ही जा रही है।

भारतीय कैंप नहीं

उपग्रह से ली गई प्लानेट लैब की 25 जून की तसवीरों से साफ़ लगता है कि उस समय गलवान नदी में पानी अपेक्षाकृत ज़्यादा था, नदी लबालब भरी हुई थी। वहाँ भारत की ओर से बनाया गया संगर (पत्थर की बनी दीवाल) टूट गया दिखता है। उस जगह भारत का कोई कैंप या ठोस संरचना नहीं है। 

एनडीटीवी का कहना है कि सैटेलाइट तसवीरों से साफ़ है कि भारतीय सीमा क्षेत्र में गलवान नदी के किनारे चीनियों ने एक तटबंध बना लिया है। इसका सामरिक महत्व यह है कि तटबंध से चीनी सैनिकों को भारतीय सैनिकों की गतिविधियों पर नज़र रखने में सुविधा होगी। यह गलवान नदी के बिल्कुल किनारे है, जिससे नदी पर भी चीनियों की पकड़ पहले से अधिक मजबूत हो सकती है। 

इस जगह के दूसरे रणनीतिक-सामरिक महत्व हैं। दार्बुक-दौलत बेग ओल्डी सड़क इस जगह से सिर्फ 6 किलोमीटर दूर है। वह सड़क दौलत बेग ओल्डी तक जाती है, जहाँ भारतीय वायु सेना ने हवाई पट्टी बना रखी है।

सामरिक-रणनीतिक महत्व

वह हवाई पट्टी इतनी सक्षम और आधुनिक सुविधाओं से लैस है कि वायु सेना ने वहाँ अपना सबसे बड़ा परिवहन जहाज़ हर्क्युलस भी उतारा है। चीन को इस सड़क से ही आपत्ति है, पास में हवाई पट्टी होने से उसका महत्व और बढ़ जाता है और चीन का डर भी। चीन के लिए यह अधिक संवेदनशील जगह इसलिए है कि वहाँ से अक्साई चिन तक आसानी से जाया जा सकता है।
भारत ने श्योक नदी पर पुल बना लिया है, जिसके बाद यह और आसान हो गया है। अक्साई चिन वह इलाक़ा है, जिसे चीन ने 1962 की लड़ाई में भारत से छीन लिया था और अब तक उसका उस पर ग़ैरक़ानूनी कब्जा है। 

अक्साइ चिन

गृह मंत्री अमित शाह ने 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 पर हुई बहस में कहा था कि अक्साई चिन और पाक-अधिकृत कश्मीर भारत का है और वह ये इलाक़े छीन कर रहेगा। चीन का रुख उसी समय से आक्रामक है। 
गलवान घाटी के इस इलाक़े का दूसरा सामरिक महत्व यह भी है कि यहाँ से कराकोरम हाई वे तक जाया जा सकता है। चीन ने अपने उत्तर पश्चिमी प्रांत शिनजियांग से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर तक कराकोरम हाई वे बना रखा है।
यही कराकोरम हाई वे आगे चल कर चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ता है। यह गलियारा पाक-अधिकृत कश्मीर होते हुए बलोचिस्तान के ग्वादर बंदरगाह तक पहुँचता है। 
आर्थिक गलियारे और बंदरगाह का आर्थिक महत्व जितना है, सामरिक महत्व भी उतना ही है। चीन युद्ध काल में इस बंदरगाह पर एअरक्राफ्ट कैरिअर लगा कर पूरे हिंद महासागर पर दबदबा कायम कर सकता है।

नदी से छेड़छाड़

उपग्रह से प्राप्त तसवीरों से चीनी सेना की दूसरी गतिविधियाँ भी साफ़ हैं। यह स्पष्ट है कि चीन ने वहाँ बुलडोज़र और मिट्टी काटने की दूसरी मशीनें लगा रखी हैं। वहाँ सौ से ज़्यादा भारी सैन्य वाहन और ट्रक खड़े हैं। नदी के एक इलाक़े से मिट्टी काट कर उसकी स्वाभाविक धारा से छेड़छाड़ की गई है।
नदी के ऊपर कई जगह छोटी-छोटी पुलिया बना दी गई है। कुछ जगहों पर मिट्टी काट कर घाटी को चौड़ा कर दिया गया है ताकि भारी गाड़ियाँ और मशीनें आ सकें। 

लंबी रणनीति

उपग्रह से प्राप्त तसवीरों को देखने से साफ़ लगता है कि चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो झील, फिंगर 4 से फिंगर 8 तक के इलाक़े और गलवान घाटी के बड़े हिस्से पर न सिर्फ कब्जा कर लिया है, बल्कि वहाँ ठोस व स्थायी निर्माण भी कर लिया है। 
पीपल्स लिबरेशन आर्मी का यह अभियान उसकी दूरगामी नीति और लंबे समय तक प्रभावित करने वाले फ़ैसलों को दर्शाता है। चीनी सेना ने पूरे पूर्वी लद्दाख पर जगह-जगह कब्जा कर लिया है, वहाँ से उत्तराखंड तक अपनी सैनिक मौजूदगी बढ़ा ली है।
वह 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराने की नीति पर चल रही है। मौजूदा तनाव और सैनिक जमावड़ा उस दूरगामी सामरिक-राजनीतिक रणनीति का छोटा हिस्सा भर है। 
इसके पीछे चीन की आशंकाएं हैं और वैश्विक व राजनीतिक विवशताएं भी। वह अक्साई चिन को लेकर डरा हुआ है, भारत को अमेरिकी सहयोगी के रूप में देख रहा है और विश्व राजनीति में अपना दबदबा कायम करने की नीति को आगे बढ़ा रहा है। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें