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कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने रविवार 17 सितंबर को कहा कि सनातन धर्म को लेकर विवाद सबसे पहले तब शुरू हुआ जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कुछ दिन पहले हिंदू धर्म में भेदभाव का मुद्दा उठाया। हालांकि भाजपा तमिलनाडु के मंत्री और डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन की सनातन धर्म पर विवादास्पद टिप्पणी को लेकर विपक्षी दल भारत पर निशाना साध रही है।
पवन खेड़ा ने सीडल्यूसी बैठक के दौरान हैदराबाद में पत्रकारों को बताया कि “यह मुद्दा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से शुरू हुआ। उन्होंने ही सबसे पहले 15 दिन पहले बोला था कि हमने दलितों का 2000 साल तक शोषण किया है। उनके मुताबिक मोहन भागवत ने यह बात हिंदू धर्म के बारे में कही थी।''
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हमने (हिन्दुओं) अपने ही साथी (दलित) मनुष्यों को सामाजिक व्यवस्था में पीछे रखा। हमने उनकी परवाह नहीं की और यह 2000 वर्षों तक जारी रहा। जब तक हम उन्हें समानता प्रदान नहीं करते, तब तक कुछ विशेष उपाय करने होंगे और आरक्षण उनमें से एक है। इसलिए इस तरह का भेदभाव होने तक आरक्षण जारी रहना चाहिए। हम आरएसएस में संविधान में दिए गए आरक्षण को पूरा समर्थन देते हैं।
-मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख, 6 सितंबर 2023 सोर्सः टाइम्स ऑफ इंडिया
आरएसएस प्रमुख ने आगे कहा, "यह सम्मान देने के बारे में है न कि सिर्फ वित्तीय या राजनीतिक समानता सुनिश्चित करने के बारे में है।" अगले 200 वर्षों के लिए।" उन्होंने यह भी कहा कि जिन्होंने ऐसा भेदभाव नहीं सहा है, क्या वे 200 वर्षों तक उन्हें (दलितों) को सम्मान नहीं दे सकते।
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आरएसएस प्रमुख ने दो मौकों 2015 और 2019 में आरक्षण का अप्रत्यक्ष रूप से विरोध किया था। उनका कहना था कि आरक्षण पर विचार होना चाहिए। लेकिन 2023 में संघ प्रमुख मोहन भागवत पूरी तरह बदल गए। 2029 में उनके बयान पर भाजपा ने कहा था कि वो भागवत के अपने विचार हैं। सरकार उससे सहमत नहीं है। कांग्रेस ने तब इसे साजिश बताया था और कहा था कि भाजपा और आरएसएस संविधान संशोधन करके आरक्षण को खत्म करने की साजिश कर रहे हैं।
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