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शुक्रवार को मुझे किसी ने मोबाइल से फ़ोन किया, जान से मार डालने की धमकी दी। यह किसी पुरुष की आवाज़ थी और उसने मुझसे बहुत ही अभद्र, धमकाने वाले और अपमानजनक तरीके से बात की। वह चेहरा ढंकने वाले लिबास पर रोक लगाने के फ़ैसले से बेहद उत्तेजित और गुस्से में था।
पी. ए. फ़ज़ल गफ़ूर, मुसलिम एजुकेशन सोसाइटी के प्रमुख
क्या है पूरा मामला?
मुसलिम एजुकेशन सोसाइटी ने एक सर्कुलर जारी कर कहा, ‘शैक्षणिक वर्ष 2019-2020 से संस्था बग़ैर किसी विवाद में पड़े यह फ़ैसला लागू करे कि कोई भी लड़की ऐसा लिबास पहन कर कक्षा में न आए, जिससे चेहरा ढंका हुआ हो।’ गफ़ूर ने हाई कोर्ट के एक फ़ैसले का हवाला देते हुए कहा है कि स्कूल-कॉलेज के प्रबंधन को यह हक़ है कि वह अपने हिसाब से ड्रेस तय करे और उसे लागू करे।“
केरल की संस्कृति, यहाँ माने जाने वाले किसी धर्म या परंपरा में महिलाओं या लड़कियों के चेहरा ढंकने का रिवाज नहीं है।
पी. ए. फ़ज़ल गफ़ूर, मुसलिम एजुकेशन सोसाइटी के प्रमुख
तात्कालिक कारण?
दरअसल भारत में बुर्क़े पर एक बार विवाद शुरू हो गया है। श्रीलंका में गिरजाघरों और होटलों पर ईस्टर रविवार के दिन हमले होने के बाद वहाँ की सरकार ने बुर्के पर रोक लगा दी है। इसकी एक वजह यह भी है कि सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के बाद जब वहां लोग पहुँचे तो बुर्के में कुछ लोग वहाँ से भाग निकले और उन्हें नहीं पहचाना जा सका। वे संदिग्ध आतंकवादी हो सकते थे। इसके बाद भारत में शिवसेना ने बुर्के पर रोक लगाने की माँग कर दी और इसके साथ ही इस पर बहस छिड़ गई। भोपाल से चुनाव लड़ रहीं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और अपना बेतुके बयानों के लिए बदनाम हो चुके मोदी सरकार के मंत्री गिरिराज सिंह ने शिव सेना की माँग से सहमति जताई।“
आज बुर्क़े पर पाबंदी की बात हो रही है, कल दाढ़ी-टोपी पर पाबंदी लगाने की माँग हो सकती है। बुर्क़े और नक़ाब पर पाबंदी की माँग करने वाले घूंघट पर पाबंदी की माँग क्यों नहीं करते?
असदउदु्दीन ओवैसी, अध्यक्ष, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन
इन देशों में है बुर्क़े पर पाबंदी
बुर्क़े पर पाबंदी के फ़ैसले के साथ ही श्रीलंका एशिया, अफ़्रीका और यूरोप के उन देशों में शामिल हो गया है जहाँ इसे पहनने पर प्रतिबंध है। बता दें कि चैड, कैमरून, गैबन, मोरक्को, ऑस्ट्रिया, बल्गारिया, डेनमार्क, फ़्रांस, बेल्जियम और उत्तर-पश्चिम चीन के मुसलिम बहुल प्रांत शिनजियांग में बुर्क़ा पहनने पर पाबंदी है। डेनमार्क में पिछले साल ही बुर्क़े पर पाबंदी लगाई गई है। वहाँ बुर्क़े पर पाबंदी लगाने वाले क़ानून में मुसलिम महिलाओं का ज़िक्र किए बिना कहा गया है, 'कोई भी अगर सार्वजनिक तौर पर चेहरे को ढकने वाला कपड़ा पहनेगा तो उस पर जुर्माना लगाया जाएगा।'इसलाम क्या कहता है?
न बुर्क़े से इस्लाम है और न ही बुर्क़े में इस्लाम है। क़ुरआन में औरतों को पर्दे का हुक्म हैं। मर्दों को निगाहें नीची करके चलने का हुक्म है। क़ुरआन (सूरह नूर आयत न. 30) ‘ऐ नबी (मुहम्मद साहब स.अ.व.) कह दो मोमिन (मुसलमान) मर्दों से कहो कि वे अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों (शरीर के खास अंगों) की हिफाजत करें। ये उनके लिए बेहतर है।’क्या है मध्य-पूर्व कनेक्शन?
लेकिन केरल का मामला थोड़ा अलग है। इसे समझने के लिए यह ध्यान में रखना ज़रूरी है कि केरल की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा मध्य-पूर्व के देशों में रहता है। इन देशों को नर्स, डॉक्टर, अर्द्धकुशल मजदूर और तकनीकी जानकारी वाले कामगारों की ज़रूरत पड़ी क्योंकि वे अपने यहाँ बड़े पैमाने पर विकास कार्य कर रहे थे। उनके पास तेल के व्यापार से उपजा अथाह पैसा तो है ही, इस पैसे के बल पर दूसरे क्षेत्रों में निवेश और विकास की ज़रूरत भी है। वहाँ तेल कारखाने, रिफ़ाइनरी ही नहीं बने, बड़े पैमाने पर ढाँचागत सुविधाओं का निर्माण हुआ।
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