हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद साध्वी प्राची ने अब अपनी जान पर ख़तरा बताया है। साध्वी प्राची मुसलिमों के ख़िलाफ़ अक्सर विवादित बयान देकर सुर्खियों में रही हैं। उन्होंने हरिद्वार में पत्रकारों से कहा कि अब कमलेश तिवारी की हत्या से वह परेशान हो गई हैं और उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार से सुरक्षा की माँग की है।
प्राची ने कहा, 'आईएसआईएस से कई मौक़ों पर मुझे जान से मारने की धमकी मिली है। मुझे भगवान पर पूरा विश्वास है और इसलिए अब तक इसकी चर्चा नहीं की। लेकिन कमलेश तिवारी की हत्या से मैं हिल गई हूँ। कुछ दिन पहले कुछ अपरिचित लोग आश्रम में आए थे और मेरे बारे में जानकारी जुटा रहे थे। मुझे लगता है कि मुझे सुरक्षा की ज़रूरत है।'
साध्वी प्राची की तरह ही कमलेश तिवारी ने भी मुसलिमों के ख़िलाफ़ कई मौक़ों पर विवादास्पद बयान दिया था। तिवारी की हत्या को मुसलिमों के ख़िलाफ़ उनके बयान से भी जोड़कर देखा गया। वह 2015 में पैगंबर मुहम्मद पर कथित तौर पर आपत्तिजनक बयान देने के लिए सुर्खियों में रहे थे। उनके इस बयान के बाद देश भर में हंगामा मचा था और मुसलिमों ने ज़बरदस्त प्रदर्शन किया था। तब तिवारी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई थी। बाद में उन्हें पुलिस ने नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएसए के तहत गिरफ़्तार भी किया था। 2016 में इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने उनके ख़िलाफ़ लगाए गए एनएसए को ख़त्म कर दिया था।
साध्वी प्राची ने भी अपनी जान पर ख़तरा होने का संकेत देते हुए कमलेश तिवारी का ज़िक्र किया। तिवारी की तरह ही साध्वी प्राची भी हिंदूवादी नेता हैं। वह मुसलिमों के ख़िलाफ़ लगातार विवादित बयान देती रही हैं।
'मुसलिम गुर्राए तो बर्दाश्त नहीं'
इसी साल एनडीडीवी की 25 जुलाई की रिपोर्ट के अनुसार, साध्वी प्राची ने उत्तर प्रदेश के बाग़पत में कहा था कि 'भारत में रहने वाले मुसलिम अगर गुर्राते हैं तो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।' उन्होंने कहा था कि 'भक्तों को भगवान शिव की तरह एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला उठाना चाहिए ताकि किसी ने आँख दिखाई तो उस पर भाले का प्रयोग किया जा सके।'
इससे कुछ महीने पहले ही उन्होंने एक और विवादित बयान दिया था। 7 जून 2016 की एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा था कि 'कांग्रेस मुक्त' भारत का मिशन पूरा हो गया है और अब देश को मुसलिमों से मुक्त करने का समय आ गया है। साध्वी प्राची के इस बयान पर कई शहरों में एफ़आईआर भी दर्ज हुई थी।
मुसलिम लड़कियों पर टिप्पणी
'नवजीवन' में एक अगस्त 2018 को प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, मथुरा में साध्वी प्राची ने मुसलिम लड़कियों को इसलाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने और हिंदू लड़कों से विवाह करने की सलाह दी थी। उन्होंने इसलाम को एक ‘ख़तरनाक धर्म’ बताते हुए कहा था कि ये उनकी ज़िंदगी तबाह कर सकता है।
10 अप्रैल 2016 की 'जनसत्ता' की रिपोर्ट के अनुसार, प्राची ने कहा था कि जो 'भारत माता की जय' नहीं बोलना चाहते हैं उनको या तो देश के बाहर निकाल देना चाहिए या हिंद महासागर में फेंक देना चाहिए।
13 जुलाई 2016 की 'न्यूज़ 18' की रिपोर्ट के अनुसार, प्राची ने घोषणा की थी कि जो कोई भी सऊदी अरब जाकर जाकिर नाइक का सिर काट कर लाएगा, उसे 50 लाख का इनाम दिया जाएगा। साध्वी प्राची ने यह भी कहा था कि जाकिर नाइक धर्मगुरु बनकर आतंकवाद की पौध तैयार कर रहा है।
मुज़फ़्फ़रनगर दंगे में भड़काऊ भाषण
मुज़फ़्फ़रनगर दंगा मामले में भी भड़काऊ भाषण देने में साध्वी प्राची का नाम आया था। दरअसल, अगस्त 2013 को गाँव नगला मंदौड़ में बहू-बेटी बचाओ पंचायत आयोजित की गई थी। बाद में सितंबर को नंगला मंदौड़ृ के इंटर कॉलेज के मैदान में पंचायत आयोजित की गई। बीजेपी नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे। इस पंचायत के समाप्त होने के बाद मुज़फ़्फ़रनगर में दंगे भड़क गए थे। सांप्रदायिक हिंसा में 60 से अधिक लोगों की जानें गई थीं जबकि 50 हज़ार लोगों को पलायन करना पड़ा था। दंगों की आग शामली, बागपत, सहारनपुर तक फैली थी।
इसमें कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक उन्माद फैलाने सहित धारा 144 के उल्लंघन के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया था। इसमें साध्वी प्राची सहित 14 लोगों को नामजद किया गया था।
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