वैसे तो भारत की चर्चा दुनिया में इसलिए होती है कि दुनिया का यह अकेला ऐसा मुल्क है जिसमें सबसे ज़्यादा जातियां, धर्मों, मतों, संप्रदायों को मानने वाले लोग मिल-जुलकर रहते हैं। लेकिन इससे भी ज़्यादा चर्चा इस बात की होती है कि भारत का संविधान इतना मजबूत है कि यह देश के हर व्यक्ति के अधिकारों को सुनिश्चित करता है और उसे अपनी बात कहने का अधिकार देता है। संविधान को मानना सभी भारतवासियों का फर्ज है लेकिन संविधान किसी कृत्य को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दे और फिर भी कोई वही काम करे तो क्या होना चाहिए। निश्चित रूप से यह काम असंवैधानिक होगा और वह इस इरादे से किया जाए कि इससे देश के किसी दूसरे समुदाय में नाराज़गी बढ़े तो यह विभाजनकारी और घृणित भी होगा।
सालों से हिंदु और मुसलमान के बीच तनाव का कारण रहे अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद देश के लोगों ने जिस गजब के सांप्रदायिक सौहार्द्र, मोहब्बत, भाईचारे का पैगाम दिया उससे यह धारणा और मजबूत हुई कि हिंदुस्तान मोहब्बत करने वालों का मुल्क है और इसने नफ़रत को देश से भगा दिया है। कहीं कोई ऐसी घटना नहीं हुई जिससे भाईचारा टूटता हो लेकिन अब एक ऐसी घटना सामने आई है जिससे लगता है कि कुछ लोगों को यह क़तई रास नहीं आ रहा है कि देश में अचन-चैन क़ायम रहे।
यह घटना हुई है कर्नाटक में, जहाँ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के एक नेता के द्वारा चलाये जा रहे स्कूल में बाबरी मसजिद के ध्वंस का फिर से मंचन किया गया। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। वीडियो में दिख रहा है कि सफेद और भगवा कपड़े पहने स्कूली बच्चे बाबरी मसजिद के पोस्टर के सामने खड़े हैं और पीछे से लाउडस्पीकर पर ‘श्री राम चंद्र की जय’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लग रहे हैं। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि 1992 में अयोध्या में बाबरी मसजिद का ध्वंस किया गया था। इसके बाद सभी बच्चे बाबरी मसजिद के उस पोस्टर को फाड़ देते हैं और पीछे से ‘जय हनुमान’ और ‘बोलो बजरंग बली की जय’ के नारे बोले जाते हैं।
और यह सब तब हुआ जब संविधान की शपथ लेकर मंत्री बनने वाले नेता और उप राज्यपाल भी इस कार्यक्रम में मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा और पुडुचेरी की उप राज्यपाल किरन बेदी को कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। कार्यक्रम का नाम क्रीड़ोत्सव रखा गया था और यह 15 दिसंबर की शाम को मैंगलोर के नजदीक कल्लाडका में स्थित श्री राम विद्या केंद्र नाम के स्कूल में आयोजित किया गया था।
यह स्कूल कल्लाडका प्रभाकर भट के ट्रस्ट द्वारा संचालित है। प्रभाकर भट तटीय कर्नाटक में आरएसएस के प्रभावशाली नेता हैं। वह इस दक्षिणपंथी संगठन के दक्षिण-मध्य क्षेत्र के कार्यकारी सदस्य भी हैं।
कांग्रेस ने दी तीख़ी प्रतिक्रिया
इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद कांग्रेस ने तीख़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। भारतीय युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रचार प्रभारी श्रीवास्तव वाईबी ने ट्वीट कर कहा, ‘जब आरएसएस-बीजेपी हमारे समाज पर कब्जा कर लेंगे तो भविष्य में हमारी शिक्षा ऐसी ही होगी। इसलिए हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम इसका विरोध करें।’ कांग्रेस प्रवक्ता वीएस उगरप्पा ने कहा कि इस कार्यक्रम का एजेंडा हिंदुओं को आकर्षित करना है।
किरण बेदी ने भी इसी कार्यक्रम का एक वीडियो ट्वीट किया है। इस वीडियो में प्रस्तावित राम मंदिर को बनते दिखाया गया है। बेदी ने कहा है कि स्कूल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि श्री राम विद्या केंद्र के सालाना उत्सव में उसके सभी 3,800 से अधिक बच्चे भाग लें।
इस मामले में पुलिस ने कल्लाड प्रभाकर भट, नारायण सोमयाजी, वसंत माधव और चिन्नाप्पा कोटियान के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज कर लिया है। बंटवाल शहर पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को भड़काने को लेकर मुक़दमा दर्ज किया है।
इस वीडियो के सामने आने के बाद कार्यक्रम के आयोजकों से सवाल पूछा जाना चाहिए कि वे संविधान द्वारा ग़ैर-क़ानूनी बताए गए किसी कृत्य को महिमामंडित करके क्या बताना चाहते हैं। जिन स्कूली बच्चों ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया और जिन बच्चों ने सोशल मीडिया पर इसे देखा, उनके मन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा। आख़िर क्यों वे लोग हिंदू-मुसलिम की लड़ाई में नहीं उलझेंगे। और फिर वे इसी में उलझ जाएंगे तो क्या वे देश के लिए कुछ कर पाएंगे, इसका सीधा जवाब होगा नहीं।
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